Johar Ki Namaz Ka Tarika – ज़ोहर की नमाज़ का तरीका

आज हम आपको ज़ोहर की नमाज़ का तरीका मुकम्मल और दुरूस्त तरीके से बताएंगे, हम सभी जानते हैं कि हम सब के लिए हर रोज की पांच वक्त का नमाज फर्ज है।

हम सभी को नमाज जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि नमाज हमें बुरे और बे हयाई कामों से रोकती है जिसे हम सभी का रब अल्लाह तबारक व तआला खुश होता है।

आज हम आपको एक ऐसे ही नमाज के बारे में बताए हैं जिसका सवाब बहुत ही बड़ा होता है लेकिन हमें और आपको चाहिए कि उस नमाज को मुकम्मल सही तरीके से करें।

इसीलिए आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि जोहर की नमाज का तरीका क्या होता है।

Johar Ki Namaz Ka Tarika

  1. सबसे पहले ज़ोहर की चार रकअत सुन्नत पढें।
  2. इसके बाद चार जोहर की चार रकअत फर्ज़ पढ़े।
  3. फिर इसके बाद ज़ोहर की दो रकअत सुन्नत पढें।
  4. अब आखिरी में ज़ोहर की दो रकअत नफ्ल पढ़े।

ज़ोहर की चार रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका – पहली रकात

  1. सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने ज़ोहर की चार रकअत सुन्नत कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. नियत में जब अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. फिर इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब चंद सेकेंड में करें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. यहां पर दूसरी रकअत में बगैर सना पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन, पांच या सात बार सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. इसके बाद लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं क्योंकि हमें चार रकअत पढ़नी है अब दुसरी रकअत भी मुकम्मल हो गई।

तीसरी रकअत:-

  1. अब यहां पर भी तीसरी रकअत सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई छोटी या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन, पांच या सात बार सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. फिर से लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहें और सीधे खड़े हो जाएं यहां तक तीन रकअत मुकम्मल हो गई।

चौथी रकअत:-

  1. आखिरी में यहां पर भी चौथी रकअत में बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई छोटी या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन‌ बार सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होगा कि दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
  12. यहां तक आपकी जोहर की नमाज के चार रकअत सुन्नत मुकम्मल हो गई।

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ज़ोहर की चार रकअत फर्ज पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. आप सबसे पहले ज़ोहर की फर्ज कि नियत करें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथों को अपने कान कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  2. अगर आप ज़ोहर कि फर्ज जमाअत के साथ अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब को अल्लाहु अकबर कहने पर नियत बांधे।
  3. अब आप सना यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. फिर इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. लेकिन इस बात पर गौर फरमाएं कि अगर आप ज़ोहर कि फर्ज जमाअत के साथ अदा कर रहे हैं तो सिर्फ आप सना पढ़े।
  8. इमाम साहब अल्हम्दु शरीफ और सुरह को पढ़ेगे सिर्फ़ आपको सुनना है।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  10. यहां पर भी ध्यान देने की बात यह है कि अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ करेंगे।
  11. लेकिन कम से कम तीन बार आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना ही है।
  12. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  13. अगर जमाअत के साथ जोहर कि फर्ज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर उठना है।
  14. लेकिन आपको यहां पर भी रब्बना लकल हम्द कहना ही है।
  15. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  16. इसी तरह आपको दो बार सज्दा करना है।
  17. अगर इमाम साहब के पिछे नमाज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।
  18. यहां तक जोहर की नमाज की फर्ज नमाज की पहली रकअत मुकम्मल हो गई।

दुसरी रकअत:-

  1. फिर अल्लाहु अकबर कहने पर उठ जाएं या इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो उनके कहने पर सीधे खड़े होना है।
  2. अब दूसरी रकअत में आपको सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा और कोई सूरह को पढ़ना है।
  3. लेकिन बा जमाअत यानी इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आपको सुरह फातिहा और सुरह पढ़ना नहीं बल्कि सिर्फ सुनना है।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार यहां पर भी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  5. यहां पर भी ध्यान देने की बात यह है कि अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ करेंगे।
  6. लेकिन कम से कम तीन बार आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना ही है।
  7. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  8. अगर जमाअत के साथ जोहर कि फर्ज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर उठना है।
  9. किन आपको यहां पर भी रब्बना लकल हम्द कहना ही है।
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  11. अगर इमाम साहब के पिछे नमाज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।
  12. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  13. अत्तहियात में जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं।
  14. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं इमाम के साथ हो तो उनके कहने पर खड़े होना है।

तीसरी रकअत:-

  1. अब सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े और रूकुअ करें।
  2. लेकिन अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके कहने पर ही पिछले बार की तरह ही रूकुअ करें।
  3. इसके बाद अल्लाहु अकबर करते हुए हर बार की तरह सजदा करें इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें।

चौथी रकअत:-

  1. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर सीधे खड़े हो जाएं और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े।
  2. लेकिन इमाम के साथ है तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सीधे खड़े हो जाएं लेकिन सूरह फातिहा को न पढ़े।
  3. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए या फिर इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ में जाएं और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  4. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे हैं तो उनके कहने पर खड़े होना है।
  5. इसके बाद अल्लाहु अकबर करते हुए हर बार की तरह सजदा करें इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें।
  6. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
  7. अगर इमाम के पीछे जोहर की फर्ज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहू अकबर कहने पर तो तशह्हुद के लिए बैठना है।
  8. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  9. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होगा कि दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  10. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  11. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  12. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
  13. अगर इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहने पर सलाम फेरें।
  14. यहां पर आपकी जोहर की नमाज की चार रकअत कि फर्ज नमाज मुकम्मल हो गई।

ज़ोहर की बाद कि दो रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने ज़ोहर दो चार रकअत सुन्नत कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना पढ़े यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब थोड़े समय में करें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. यहां पर दूसरी रकअत मे सना न पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होना चाहिए कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
  12. यहां तक आपकी ज़ोहर के बाद वाली दो रकअत सुन्नत नमाज़ भी मुक्कमल हो गई।

ज़ोहर की दो रकअत नफ्ल पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. सबसे पहले नियत करें मैने ज़ोहर की नफ्ल कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना पढ़े यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब थोड़े समय में करें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. यहां पर दूसरी रकअत मे सना को न पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको यह जरूर मालूम होगा कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कि ओर गर्दन को घुमाएं।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
  12. यहां पर आपकी ज़ोहर की नफ्ल नमाज़ भी मुक्कमल हो गई।

औरतों के लिए ज़ोहर की नमाज़ का तरीका

सबसे पहले अपने इस्लामी मां बहनों को यह बताना चाहूंगा कि आपलोगों के लिए भी ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने का तरीका यही है यानी जिस तरह से सुन्नत में फर्ज़ में और नफ्ल में जो चीजें पढ़ने के लिए बताया है उसे ही पढ़े।

लेकिन सभी नियम आपको औरत की नमाज़ का तरीका वाला लागू करना है जैसे नियत अलग तरीके से आपको बांधना है लेकीन नियत वही करना है।

आपको रुकुअ भी औरतों की नमाज़ की तरीका से करना है लेकीन कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ना ही है।

आपको मैंने शुरूआत में ही बताया कि नमाज़ की रकात, नमाज़ की नियत सब वही चीज पढ़ना है लेकीन सिर्फ़ अपना तरीका अपनाना है।

ज़ोहर की नमाज़ की रकात

ज़ोहर की नमाज़ में टोटल बारह रकअत होती है सबसे पहले शुरू के चार रकअत सुन्नत इसके बाद चार रकअत फर्ज़ फिर दो रकअत सुन्नत इसके बाद दो रकअत नफ्ल अदा की जाती है, आपको यह बता दें कि जोहर की नमाज चार सलाम के साथ मुकम्मल किया जाता है।

अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: जोहर की नमाज की रकात

ज़ोहर की नमाज़ की नियत

ज़ोहर की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ज़ोहर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल जोहरी सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ज़ोहर की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने नमाज़ ज़ोहर की चार रकअत फर्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल जोहरी फर्जुलल्लाहे तआला मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ध्यान दें:- अगर आप जोहर की फर्ज जमाअत के साथ पढ़ रहे हैं तो आपको हिन्दी नीयत में वास्ते अल्लाह तआला के बाद पीछे इस इमाम के बोलना है और अरबी नियत मे फर्जुलल्लाहे तआला के बाद इकत् दयतु बिहाजल इमाम कहें।

जोहर की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज जोहर की सुन्नत रसूले पाक की फर्ज़ के बाद वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल जोहरी सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

जोहर की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज जोहर की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ज़ोहर की नमाज़ का वक्त

जोहर की नमाज का वक्त आफताब यानी सूरज का निस्फुनहार मतलब आधा दिन ढलते ही शुरू हो जाता है।

और जोहर की नमाज दोपहर के वक्त किसी चीज का साया दोगुना हो जाए तो खत्म हो जाता है।

इस बात का अंदाजा आप किसी भी सीधी चीज के जरिए लगा सकते हैं जैसे कोई एक दीवार हो जब आधा दिन होगा तो इस दीवार का साया एक भी नहीं होगा।

लेकिन जैसे ही दिन ढलने लगेगा तो साया बढ़ता जाएगा इसी तरह जब इस दीवार का हाइट जितना हो साया उससे ज्यादा यानी दुगना हो जाए तो फजर का वक्त खत्म हो जाता है।

लेकिन एक बात ध्यान में रखें की छोटे दिनों यानी जाड़ों में अव्वल वक्त यानी शुरू के समय में ही और बड़े दिनों में आखिर वक्त में ज़ोहर की नमाज़ पढ़ना मुस्तहब माना गया है।

आख़िरी बात

हमने इस पैगाम के जरिए आपको ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने का मुक्कमल और दुरुस्त तरीका बताया है, हमें उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा।

साथ ही साथ जोहर की नमाज अदा करने में बहुत मददगार रहा होगा इसे पढ़ने के बाद आसानी से जोहर की नमाज अदा कर सकेंगे।

हमने इस आर्टिकल को बहुत ही आसान और शुद्ध शब्द में लिखा है जिससे आपको पढ़ने में और समझने में भी आसानी हो क्यूंकि मेरा मकसद यह है कि हम अपने पाठकों को पूरी जानकारी को आसान लफ्जों में प्राप्त कराएं।