Namaz Ki Sharait – नमाज की शराइत आसानी से समझें

आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास इल्म यानी कि नमाज की शराइत आसानी से समझेंगे हमने यहां पर नमाज की शर्तें बहुत ही साफ़ और हिंदी जबान के आसान लफ्ज़ों में लिख कर बयां की है।

जिसे पढ़ने के बाद आप बहुत ही आसानी से नमाज की शर्तें जान जाएंगे अगर आप इसे ध्यान से पढ़ेंगे तो यकीनन फिर आपको कहीं पर भी यह नहीं खोजनी पड़ेगी की नमाज की शर्तें कितनी है?

हम सब जानते हैं कि नमाज अदा करने के लिए कुछ बातों पर गौर करना लाज़मी होता है जिस तरह से नमाज़ के फराईज होते हैं इनके बगैर ना तो नमाज शुरू होगी और नाही मुकम्मल होगी इसीलिए आप गौर करें।

Namaz Ki Sharait

नमाज की शर्तें निम्नलिखित है:-

  • तहारत
  • सत्रे औरत
  • इस्तिकबाले किब्ला
  • वक्त का होना
  • नियत
  • तहरीमा

नमाज की शर्तें कितनी है?

नमाज में कुल मिलाकर सब 6 शर्तें लाज़िम है पहली शर्त तहारत यानी पाक होना, दुसरी बदन का जरूरी का हिस्सा ढका होना, तीसरी किब्ला का रुख होना, चौथा नमाज़ के लिए वक्त का होना, पांचवां शर्त नमाज के लिए दिल में नेक और पक्का इरादा होना, छठा और आखिरी शर्त तकबीरे तहरीमा का होना।

नमाज की पहली शर्त तहारत

यहां पर तहारत यानी पाकी मतलब नमाज़ पढ़ने वाले का पुरा बदन पाक होना कपड़े और बदन पर किसी तरह का नजासत नहीं लगा होना चाहिए।

इसके बाद जहां पर नमाज़ अदा करना हो उस जगह का भी पाक होना चाहिए इसके साथ साथ मुसल्ला भी पाक व साफ़ होना चाहिए।

नमाज की दुसरी शर्त सत्रे औरत

यहां पर सत्रे औरत का माना यानी बदन का वह हिस्सा जिसका छुपाना फर्ज है पुरुष हजरात को नमाज पढ़ने के लिए नाफ के नीचे से घुटनों तक छिपाना फर्ज है।

अगर औरत नमाज पढ़ें तो उन्हें चाहिए कि अपने सारे बदन को सिवाए मूंह, हंथेलियां, पांव छुपा लें यहां तक कि बाल वगैरह भी नहीं दिखना चाहिए।

नमाज की तीसरी शर्त इस्तिकबाले किब्ला

यह बहुत मशहूर और आम बात है हम सभी जानते हैं कि नमाज़ पढ़ने के लिए काबा शरीफ की जानिब रूख होना चाहिए यह हमारे रब का फ़रमान है।

लेकिन अगर काबा शरीफ के अन्दर नमाज़ पढ़ेंगे तो किसी ओर भी अपना रूख कर सकते हैं लेकिन काबे के बाहर काबा की जानिब जरूरी है।

नमाज की चौथी शर्त वक्त का होना

यहां पर नमाज का सही वक्त होना यानी जिस वक्त की नमाज का वक्त हो उसी वक्त में नमाज़ पढ़ें और मकरूह वक्त में कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जाती।

आप भी शायद जानते होंगे कि नमाज ईमान वालों पर फर्ज है वक्त मुकर्रर किया हुआ जी हां यह हमारे रब अल्लाह तआला का फ़रमान है।

नमाज की पांचवीं शर्त नियत

यहां पर नियत यानी दिल से नमाज के लिए पक्का इरादा होना नियत इसे ही कहते हैं ऐसा नहीं की सिर्फ नमाज को जानना ही काफ़ी है।

नियत जबान से न हो तो भी नमाज हो जाएगा लेकिन दिल में पक्का इरादा होना चाहिए किसी ने जोहर में असर की नियत करली तो भी कोई हर्ज नहीं।

यहां तक जो भी हमने पांच शर्तें बयां की इन पहली पांच शर्तों को तकबीरे तहरीमा से लेकर नमाज खत्म होने तक मौजूद होना जरूरी है।

नमाज की छठी शर्त तकबीरे तहरीमा

अल्लाह तआला का फरमाने आलिशान है कि अपने रब का नाम लेकर नमाज पढ़ो यानी नमाज के शुरू में अल्लाहू अकबर कहना नमाज का शर्त है।

लेकिन जनाजे की नमाज में तकबीरे तहरीमा रुक्न है इसके अलावा सभी नमाज में शर्त है हमारे हुजूर भी अल्लाहू अकबर से नमाज़ शुरू फरमाते।

आख़िरी बात

आप ने इस खुबसूरत पैगाम में एक बहुत ही ख़ास जरूरी बात यानी नमाज की शर्तें बयां की यह हम सब जो नमाज़ पढ़ना चाहते हैं उनके लिए जरूरी है क्योंकी आपने अभी तक जान ही गए होंगे कि इन बातों पर अमल किए बगैर नमाज मुकम्मल या शुरू भी नहीं होगी।

इसे पढ़ने के बाद आप आसानी से समझ गए होंगे और अमल में लाएंगे अगर आप के जहन में इसे सम्बन्धित कोई सवाल या फिर डाउट या कहीं पर समझने में दिक्कत आ रही हो तो आप हमसे बराए मेहरबानी कॉमेंट करके ज़रूर पूछें जिसे आपके वसवसे खत्म हो जाए।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो यानी इस पैग़ाम से कुछ अच्छी इल्म आपको हासिल हुई हो तो आप भी उन्हें जरूर बताएं जिन्हें मालूम ना हो की नमाज की शर्तें कितनी और क्या क्या है? साथ ही साथ अपने हमेशा नेक दुआओं में हमें भी याद रखें शुक्रिया।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of IS Raza. I'm a Sunni Muslim From Ranchi, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

Leave a Comment