आज के इस पैग़ाम में आप सलातुल तौबा की नमाज अदा करने का सही और दुरूस्त मुकम्मल तरीका जानेंगे, यहां पर हमने सलातुल तौबा की नमाज पढ़ने का बहुत ही आसान तरीका को साफ लफ्ज़ों में लिखा है।
हम सब इंसान से इस ज़िंदगी में गलतियां होती रहती है लेकीन कुछ गलतियां खुद की नज़र में बहुत खराब लगती है तो उसके लिए हम सब को नमाज ए तौबा पढ़ना चाहिए जिससे हमारी गुनाह की मुआफी हो जाए।
तो इसी तौबा की नमाज पढ़ने का सही और दुरूस्त तरीका यहां आसान लफ्ज़ों में बताया गया है आप से भी ऐसा गुनाह हो जाए तो जरूर सलातुल तौबा की नमाज पढ़ लें, इससे पहले यहां पर आप ध्यान से पढ़ कर समझ लें।
Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika
सलातुल तौबा की नमाज का भी तरीका बाकी नफ्ल नमाज की तरह ही है इसमें बस आप नियत पर गौर फरमाएं या दिल में पुख्ता इरादा कर लें की मुझसे यह बड़ी गलती हुई जो गुनाह में तब्दील हो गई उसी के लिए नमाजे तौबा पढ़ रहा हूं।
जब किसी से गुनाह हो जाए तो सबसे पहले अपने में अल्लाह तआला का ध्यान और खौफ रखते हुए अपने दिल में नेक इरादा करे कि फिर ऐसी गुनाह नहीं होगी और 2 रकात की नियत कर के सलातुल तौबा की नमाज पढ़ ले।
Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकात
- सबसे पहले सलातुल तौबा की नियत करके हांथ बांध लें।
- फिर सना यानी सुब्हान क अल्लाहुम्मा पुरा पढ़ें।
- फिर तअव्वुज यानी अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
- अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ें।
- इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा पढ़ें।
- सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
- इसके बाद सूरह इखलास या फिर कोई सूरह पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं
- रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकूअ से उठें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कह कर सर उठाएं फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
- दुसरी सज्दा में भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े होकर दुसरी रकात के लिए हांथ बांध लें।
Salatul Tauba Ki Namaz Ka Tarika – दुसरी रकात
- यहां पर अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ कर सूरह फातिहा पढ़ें।
- सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें और सूरह नास या फिर कोई सूरह पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठें और रब्बना लकल हम्द भी साथ में ही कहें।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठें और फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कह कर दुसरी सज्दा करें।
- यहां भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें और अब अल्लाहु अकबर कहते हुए उठ कर तशह्हुद में बैठ जाएं।
- अब अत्तहिय्यात पढ़ें और अत्तहिय्यात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ से शहादत उंगली खड़ा करें।
- फिर तुरंत इल्ला पर गिरा दें और सिधा कर लें इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ें।
- फिर दुआ ए मसुरा पढ़ें इसके बाद आप सलाम फेर लें कुछ इस तरह से कि।
- पहली बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने तरफ गर्दन घुमाएं।
- फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए अपने गर्दन को बाएं तरफ घुमाएं।
अब आप की 2 रकात सलातुल तौबा की नमाज मुकम्मल हो गई इसके बाद आप सलातुल तौबा की दुआ पढ़ें या फिर अपने मन मुताबिक दुआए अजकार से माफी की तलब करें, बेशक अल्लाह बहुत मेहरबान है वह आपके गुनाहों को जरूर बख्श देगा।
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Salatul Tauba Ki Namaz Ka Time
अगर बात की जाए कि सलातुल तौबा की नमाज अदा करने का टाईम की तो आप को बता दें कि नफ्ल नमाज के लिए कोई भी वक्त को ख़ास मुकर्रर नहीं किया गया है बस मकरूह वक्त में नहीं पढ़ना है।
जब भी आप से कोई गुनाह या खता हो आप उसी वक्त फ़ौरन वजू कर के 2 रकात सलातुल तौबा की नमाज अदा कर लें इसे आपकी गुनाह की बख्शिश हो जाएगी फिर उस गलती को आप कभी न दोहराएं।
Salatul Tauba Ki Niyat
नियत की मैने 2 रकात नमाज ए तौबा की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
नियत दिल में भी करना दुरूस्त होता है साथ ही इस लफ्ज़ में भी नियत करें जिस तरह हमने उपर में बताया लेकीन दिल में खूब अपने को कोशे की क्यूं कैसे यह गुनाह किया अब इसे कभी भी नहीं करूंगा ऐ अल्लाह तू हमारी खताओं को माफ फरमा।
अगर गुनाह बड़ा हो तो सबसे पहले खुद में शर्मिंदगी करें की मैने क्यूं ऐसा गुनाह किया उस गुनाह को आइंदा ना करने की दिल में पुख्ता इरादा कर लें इरादा अल्लाह की खौफ से करें नाकी दुनियां के किसी इंसान से।
FAQs
सलातुल तौबा की नमाज में क्या पढ़ते हैं?
सलातुल तौबा की नमाज में सूरह फातिहा, सूरह, तस्बीह अत्तहिय्यात, दुरूदे इब्राहिम और दुआ ए मसुरा पढ़ते हैं।
आप सलातुल तौबा की नमाज कब पढ़ सकते हैं?
आप सलातुल तौबा की नमाज मकरूह वक्त के अलावा जब चाहें तब पढ़ सकते हैं कभी भी पढ़ें कोई हर्ज नहीं।
आख़िरी बात
यहां पर आप ने सलातुल तौबा की नमाज अदा करने का सही और दुरूस्त मुकम्मल पढ़ा और समझा यकीनन इससे पढ़ने के बाद आप आसानी से तौबा की नमाज पढ़ लेंगे अगर अभी भी आपके जहन में कोई वसवसा या सवालात आ रहे हैं तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें।
हम आपके सवाल का जवाब ज़रूर पेश करेंगे क्योंकी मेरा यही मकसद है कि आप आसानी से पढ़ कर अमल में लाएं जिससे आप खुश रहें ना कि सिर्फ़ हमने लिखा और आप पढ़ कर रह गए आप इसे अमल में भी लाएं हम अपने तरफ से आसान से आसान लफ्ज़ में जानकारी देते हैं।
अगर यह पैगाम से आप को कुछ हासिल हुई हो यानी सीखने को मिली हो तो जिन्हें ना मालुम हो उन्हें ज़रूर बताएं जिससे वो भी अपनी गुनाहों की माफ़ी आसानी से करा सकें और हम सब के नामए आमाल में नेकियों का इज़ाफा होता रहे साथ ही अपने नेक दुआओं में हमें भी याद रखें शुक्रिया।
Subhanallah !!!
Great going!
May Allah bless you!