Inteqal Ki Dua – इंतकाल की दुआ हिंदी में जानें

आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास दुआ यानी इंतकाल की दुआ जानेंगे हमने यहां पर इस इंतकाल की दुआ को हिंदी अरबी और इंग्लिश के बहुत ही साफ़ और आसान लफ़्ज़ों में लिख कर बताया है।

जिसे आप आसानी से पढ़ कर अपने जहन में बसा लें और जब किसी का ज़िंदगी से रुखसत होने की खबर सुने तो इस दुआ को पढ़ कर उनकी मगफिरत कर सकें रूह की ठंडक पहुंचा सकें।

Inteqal Ki Dua

हमने यहां पर इंतकाल की दुआ बहुत ही सरल लफ्जों में पेश किया है आप इसे याद कर लें और किसी को ज़िंदगी से रुखसत पा जाने पर जरूर पढ़ें हम सब को एक दिन रूखसत हो कर फिर उसी के तरफ लौटना है।

Inteqal Ki Dua In Hindi

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

कुरान 2:156

Inteqal Ki Dua In Arabic

إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ

Inteqal Ki Dua In English

Inna Lillahi Wa inna ilayhi Raji'un

Inteqal Ki Dua Ka Tarjuma

हम अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौट कर जाना है।

Inteqal Ki Dua
Inteqal Ki Dua

किसी की इंतकाल की खबर सुने तो क्या कहें?

यह बहुत ही दुख की बात होती है जब हम किसी का रूखसत पा जाने की खबर सुनते हैं लेकिन क्या करे यही हकीकत भी है हम सब को एक दिन रूखसत पाना ही है इसे हम और आप कोई नहीं बच सकते हैं।

जब आप किसी की रूखसत पाए जाने की खबर सुने तो सबसे पहले इस इंतकाल की दुआ को पढ़ें और उनकी हर एक छोटे बड़े गुनाहों को मुआफ़ कर दें जो आपके साथ किया हो और उनकी हक में दुआ करें।

किसी की इंतकाल की खबर सुने तो क्या करें?

इसके साथ साथ खुद भी तौबा करते रहे जी हां बिल्कुल पता नहीं कब रूखसत होना पड़ जाए और हमलोग गुनाहों के दौलत से मालामाल हैं यह हमें और आपको तो क्या किसी को भी एक पल का मौका नहीं देती।

इसके बाद जिसने इंतकाल की हो उसके हक में ज्यादा से ज्यादा दुरूद पाक सूरह या फिर कुरान पाक पढ़ते हैं तो इसे भी खूब पढ़ें जिसे उनके रूह को आराम मिले कब्र की अजाब से बच सकें।

अगर आप उनके करीबी हैं तो सब्र रखें और दुआ मगफिरत ज्यादा से ज्यादा करे, होता नहीं है सब्र, लेकिन करना तो है न और उनके जो बेहद करीबी हैं आप उन पर भी गौर करें उन्हें भी समझाने की कोशिश करें।

इन्ना लिल्लाहि इस दुआ को और कब पढ़ा जाता है?

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन इस दुआ को आप इसके अलावा मुसीबत या फिर किसी सख्त मुसिबत के वक्त भी पढ़ सकते हैं।

आज हम में से किसी का भी सहारा कोई होता या नहीं होता लेकिन हमारा रब सहारा है इसी लिए तो इस दुआ की तर्जुमा से हम कहते हैं कि हम अल्लाह के हैं।

इस दुआ को हम सब का रब अल्लाह तआला ने हर तरह के छोटे से छोटे बड़े से बड़े पैमाने के मुसीबत आने पर पढ़े जाने की बात कही है।

हम तुम्हें खौफ और भूख से और मालों और जानों और फलों नुकसान से जरुर आजमाएंगे लेकिन सब्र करने वालों को अच्छी ख़बर दे दो कि जब उन पर मुसीबत आए तो वो इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन बोल उठे उन्हीं लोगों पर परवरदिगार की तरफ से इनायते, रहमत व हिदायत है यह सूरह बकरह की 155, 156 और 157 आयत की तर्जुमा से छांट कर लिखी गई है तर्जुमा जानने के लिए सूरह के साथ तर्जुमा पढ़ें।

आख़िरी बात

आप ने इस पैग़ाम में एक बहुत ही ख़ास किस्म की जरूरी दुआ यानी इंतकाल की दुआ पढ़ी जिसे हमने यहां पर तीन मशहूर जबान में आसानी से बताया था जिसे आप अपने पसंदीदा लैंग्वेज में आसानी से पढ़ कर समझ जाएं और हमेशा के लिए जहन में भी बसा लें।

अगर अभी भी आपके मन में इस इंतकाल की दुआ को लेकर कोई कंफ्यूजन या डाउट हो या फिर कहीं समझने में दिक्कत आ रही हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सभी सवालों का जवाब अपने जानिब से जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे इंशाल्लाह।

इस दुआ को जिन्हें ना मालुम हो उन सभी लोगों को बताएं और साथ ही सभी मोमिनों तक पहुंचा कर अपने नामए आमाल में खूब नेकियां एड करें और आप भी इसे जरूरत पड़ने पर दिल से नेक इरादा करके पढ़ें साथ ही अपने नेक दुआओं में हमें भी याद रखें शुक्रिया।

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