आज के इस पैगाम के जरिए आप असर की नमाज का तरीका दुरुस्त और मुकम्मल तरीका जानेंगे, हम सभी मोमिनों के लिए हर दिन का पांच वक्त की नमाज फर्ज है।
जिसे हमें हर रोज हर हाल में पढ़ना ही चाहिए क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान ए आलिशान है कि जो मेरा बन्दा वक्त निकालेगा उसके कामों में बरकत अता करूंगा।
हमें और आपको चाहिए कि हमेशा अपने रब की रजा के लिए अपना जिंदगी को गुजारें, हमें अपने रब को राजी करने के लिए उनके बताए हुए रास्ते पर यानी नेक अमल करनी चाहिए, हम सभी की रब अल्लाह तबारक व तआला बहुत नेक अमल बताएं हैं जिसमें बहुत सारे नेक अम्लों में एक नमाज़ भी है।
हमारे और आपके दरमियान बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपनी रब की रजा के लिए नमाज कायम करना चाहते हैं लेकिन मुकम्मल और जानकारी के अभाव के कारण वह नमाज को नहीं पढ़ पाते हैं।
तो आज के इस पैगाम के जरिए आप असर की नमाज़ का तरीका जानेंगे अगर आप दुरूस्त और मुकम्मल जानकारी जानना चाहते हैं तो इसे ध्यान से पढ़े इसे पढ़ने के बाद आप जरूर असर की नमाज़ का तरीका जान जाएंगे।
Asar Ki Namaz Ka Tarika
असर की चार रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका
पहली रकअत:-
- सबसे पहले नियत करें और अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथों को बांध लें, जिस तरह से नियत बांधी जाती है।
- अगर नियत नहीं मालुम हो तो नीचे हमने असर की चार रकअत सुन्नत की नियत लिखा है उसे पढ़े और ज़रूर याद कर लें।
- इसके बाद सना ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
- इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ और कुरआन करीम की कोई सुरह को पढ़े।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और यहां पर कम से कम तीन बार, पांच बार या सात बार रूकुअ कि तस्बिह यानी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
- फिर तस्मीअ और तहमीद यानी समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर खड़े हो जाएं।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें जिसमें कम से कम तीन बार सज्दे की तस्बिह को यानी सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठें, इसके थोड़ी देर बाद तुरंत अल्लाहु अकबर करते हुए दुसरी सज्दा करें यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- यहां तक आप की पहली रकअत मुकम्मल हो गई अब लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए इस नमाज़ कि दूसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं।
दूसरी रकअत:-
- आप यहां पर बगैर सना पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा और कोई सूरह को पढ़े।
- फिर यहां पर भी आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और कम से कम तीन बार, पांच बार या सात बार रूकुअ कि तस्बिह यानी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
- फिर तस्मीअ और तहमीद यानी समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर सिधे खड़े हो जाएं।
- फिर अल्लाहु अकबर करते हुए सज्दे में जाएं और फिर से कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह दूसरी सज्दा भी मुकम्मल करें।
- यहां तक आप की दूसरी रकअत भी मुकम्मल हो गई अब आप अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात और दूरूद शरीफ दोनों को पढ़े।
- आपको मालूम होना चाहिए कि असर की सुन्नत नमाज गैर मुअक्किदा नमाज़ है इसमें अतहियात के बाद दुरूद शरीफ भी पढ़ना होता है।
- अगर आप अतहियात के बाद दुरूद शरीफ नहीं पड़ेगे तो कोई हर्ज नहीं है लेकिन हम आपको बता दें कि यही असर की सुन्नत कि गैर मुअक्किदा नमाज़ पढ़ने का दुरुस्त तरीका है।
- फिर इसके बाद आप लंबे सांस में अल्लाहु अकबर करते हुए तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को बांध लें।
तीसरी रकअत:-
- सबसे पहले आपको यहां सना ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़ना है।
- इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ और कुरआन करीम की कोई सुरह को पढ़े।
- फिर से आपको यहां पर भी याद दिला दे कि असर कि सुन्नत गैर मुअक्किदा है, इसे पढ़ना चाहिए अगर नहीं पढ़ते हैं तो कोई हर्ज नहीं लेकिन तीसरी रकअत में भी यह पढ़ा जाता है।
- फिर से आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और कम से कम तीन बार, पांच बार या सात बार रूकुअ कि तस्बिह यानी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
- फिर से तस्मीअ और तहमीद यानी समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर सिधे खड़े हो जाएं।
- अब अल्लाहु अकबर करते हुए सज्दे में जाएं और फिर से कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह दुसरी सज्दा भी मुकम्मल करें।
- इसके बाद इस बार भी यहां पर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकअत के लिए खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को फिर से बांध लें।
चौथी रकअत:-
- यहां पर आप बगैर सना पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा और कुरान शरीफ की कोई सुरह को पढ़े।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और यहां पर हर बार की तरह इस बार भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम कहें।
- इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर सिधे खड़े हो जाएं।
- अब अल्लाहु अकबर करते हुए सज्दे में जाएं और यहां पर कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बियल अला पढ़े, इसी तरह दुसरी सज्दा भी पूरा करें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े होने के बजाय तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
- अतहियात में जब कलिमे ला के करीब पहुंचे तो दाहिने हाथ कि शहादत उंगली उठाएं।
- इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम और दुआए मासुरह को पढ़कर सलाम फेर लें पहले दाहिने फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन घुमाएं।
- यहां पर आपकी असर कि सुन्नत नमाज कि चौथी रकअत के साथ साथ असर की सुन्नत भी मुकम्मल हो गई।
असर की चार रकअत फर्ज पढ़ने का तरीका
पहली रकअत:-
- सबसे पहले असर की भी फर्ज की नियत करने के बाद अपने हाथों को बांध लें जिस तरह से नियत बांधी जाती है।
- अब सना ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
- इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ और कुरआन करीम की कोई सुरह को पढ़े।
- अगर आप बा जमाअत यानी इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो सिर्फ सना तक ही पढ़े आपको सुरह फातिहा और कोई सूरह को नहीं पढ़ना है।
- इमाम साहब जोर से पढ़ेगे भी नहीं जिसके कारण आपको सुनाई नहीं देगा बस अपनी ध्यान बारगाह ए इलाही में बनाए रखना है।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और यहां पर कम से कम तीन बार, पांच बार या सात बार रूकुअ कि तस्बिह यानी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे हैं तो आपको सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहना है।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए या फिर इमाम साहब के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें, और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- यहां तक आपकी असर की फर्ज नमाज़ की पहली रकअत मुकम्मल हो गई इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते इमाम के पीछे हैं तो उनके कहने पर दूसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं।
दूसरी रकअत:-
- अब दुसरी रकअत में बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा और कुरान शरीफ की कोई छोटी बड़ी सूरह को पढ़े।
- अगर आप बा जमाअत यानी इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो आपको सिर्फ चुपचाप रहना और बारगाह ए इलाही में ध्यान लगाए रखना है।
- फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और कम से कम तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
- इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए हाथों को छोड़कर खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे हैं तो आपको सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहना है।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए या फिर इमाम साहब के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें, और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े सज्दा दो बार करें।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं, और अतहियात पढ़े अतहियात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर खड़े होना है।
तीसरी रकअत:-
- यहां पर आपको सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा को पढ़ कर रूकुअ करना है।
- अगर इमाम के पीछे हैं तो ये भी नहीं पढ़ना है सिधे उनके पीछे रूकुअ में चले जाना है लेकिन आप अकेले या जमाअत में हो आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना है।
- इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे हैं तो आप सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते इमाम के पीछे हैं तो उनके कहने पर सज्दा करें जिसमें कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठें, इसके थोड़ी देर बाद तुरंत अल्लाहु अकबर करते हुए दुसरी सज्दा करें यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- यहां तक आप की तीसरी रकअत मुकम्मल हो गई अब लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए इस नमाज़ कि चौथी रकअत के लिए खड़े हो जाएं।
चौथी रकअत:-
- आपको सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर फिर अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा को पढ़ कर रूकुअ करना है।
- यहां पर भी अगर इमाम के पीछे हैं तो नहीं पढ़ना है सिधे उनके पीछे रूकुअ में चले जाना है लेकिन कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम कहना है।
- इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए खड़े हो जाएं अगर इमाम के पीछे हैं तो आप सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहेंगे।
- अब अल्लाहु अकबर कहते इमाम के पीछे हैं तो उनके कहने पर सज्दा करें जिसमें कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठें, इसके थोड़ी देर बाद तुरंत अल्लाहु अकबर करते हुए दुसरी सज्दा करें यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े अतहियात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
- इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम को पढ़े और फिर दुआए मासुरह को पढ़े इसके बाद सलाम फेर लें पहले दाहिने कन्धे फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन घुमाएं।
- अगर आप इस फर्ज की नमाज को जमाअत के पीछे पढ़ रहे हैं तो उनके अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहने पर अपनी गर्दन को पहले दाहिने फिर बाएं कंधे की ओर घुमाएं।
असर की नमाज़ की रकात
असर की नमाज़ में कुल आठ 8 रकअत होता है,असर की आठ रकअत नमाज़ को दो सलाम के साथ मुकम्मल किया जाता है, यानी सबसे पहले चार रकअत सुन्नत गैर मुअक्किदह इसके बाद चार रकअत फर्ज़ पढ़ा जाता है।
Read Details:- असर की नमाज में कितनी रकात होती है?
असर की नमाज़ की नियत
असर की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ असर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल असरी सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।
असर की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल असरी फर्जुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।
इमाम के पीछे असर की फर्ज पढ़ने की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के पिछे इस इमाम के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल असरी फर्जुलल्लाहे इक त दयतु बिहाजल इमाम मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।
असर की नमाज़ का समय
असर की नमाज़ अदा करने का वक्त ज़ोहर की वक्त खत्म हो जानें के बाद शुरू होकर सूर्य अस्त तक रहता है, हमारे मुल्क में जाड़े के मौसम में असर का वक्त तकरीबन डेढ़ घंटा रहता है, जबकि गर्मी की मौसम में यही वक्त करीब करीब दो घंटा हो जाता है।
हमें और आपको असर की नमाज़ हमेशा देर से अदा करना चाहिए क्योंकि यही मुस्तहब है मगर इतना भी देर न करें कि सूर्यास्त के समय सूरज में पिलापन छा जाए।
औरतों के लिए असर की नमाज़ का तरीका
सबसे पहले अपने इस्लामी मां बहनों को बताना चाहूंगा कि आप लोगों के लिए असर की नमाज़ में पढ़ने का सभी नियत, सुरह, तस्बीह, तस्मीअ, सब एक ही है जो मैंने आपको उपर में बताया है।
बस इतना ध्यान रखें कि अपने तरीके से नमाज कायम यानी जिस तरह से औरतों के लिए नमाज अदा करने का तरीका बताया गया है उसी नियम का पालन करें बाकी पढ़ने वाली चीज और असर कि नमाज़ की रकअत सब एक जैसा ही है।
FAQ
असर की नमाज में कितनी रकात होती हैं?
असर की नमाज़ में सब मिलाकर आठ रकअत नमाज़ पढ़ी जाती है।
असर की नमाज में क्या क्या पढ़ा जाता है?
असर की नमाज़ में अल्हम्दु शरीफ, सुरह, अतहियात, दुरूद शरीफ और दुआए मसुरह पढ़ा जाता है?
आखिरी बात
हमने इस पैगाम के जरिए आपको असर कि नमाज़ पढ़ने का मुकम्मल तरीका बहुत ही आसान लफ्जों में और दुरूस्त तरीके से बताया है, हमने इस आर्टिकल में सभी लफ्ज़ और हर छोटे बड़े वाक्य को आसानी के साथ समझ में आने के लिए बहुत ही आसान तरीके से लिखा है।
हमारा लक्ष्य और उद्देश्य शुरुआत से लेकर आखिर तक यही रहा है कि हम अपने पढ़ने वाले सभी मोमिनो को पूरा जानकारी को आसान भाषा में दें, हम उम्मीद करते हैं कि इस पैगाम को पढ़ने के बाद आप जरूर असर की नमाज दुरुस्त तरीके से मुकम्मल कर सकेंगे।
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