आज आप यहां पर खाना खाने का सुन्नत तरीक़ा और आदाब भी जानेंगे, प्यारे मोमिनों खाना यानी गिजा अल्लाह तआला की अनमोल नेअमतों में से एक है ऐसा इसलिए क्योंकि इससे हम सब की ज़िंदगी हिफाज़त है।
हमें खाना खाने की सुन्नत और आदाब भी जरूर मालुम होना चाहिए खाने के बगैर चारह नहीं लिहाज़ा इसे अदब व एहतराम से इस्तेमाल में लाना इन्सानी फर्ज़ है जो शख़्स दाने खाने की कदर करता है इसे रिज्क में इज़ाफा होता है।
Khana Khane Ki Sunnat
खाना खाने की सुन्नत यानी वो तरीक़ा या वो रास्ता जिस पर हमारे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अमल में लाया हो आज आप यहां पर एक – एक करके खाने की सभी सुन्नतें जानेंगे इस पैग़ाम को आख़िर तक ध्यान से पढ़ें।
1.खाना खाने की पहली सुन्नत
हमेशा खाने से पहले अपने हाथों को पहुंचो तक अच्छी तरह से ज़रूर धोएं यह आप को दुनिया में भी फ़ायदे में रखेगी जिससे आप जिस्मानी बीमारियों से दूर रहेंगे।
सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फरमाने आलीशान है कि अगर कोई चाहे कि अल्लाह तआला उसके घर में बरकत दे तो वह खाने से पहले हांथ धो ले।
2.खाना खाने की दुसरी सुन्नत
जब भी आप खाने की नियत से हांथ धोए तो अपने हाथों को न पोंछे क्योंकि खाने से पहले हांथ धो कर के न पोंछना यह भी सुन्नत में शामिल है।
एक हदीस पाक के मुताबिक तर हांथ को झटकना शैतान का पंखा फरमाया है यानी की आप अपने हाथों को धोने के बाद झारे भी नहीं।
3.खाना खाने की तीसरी सुन्नत
खाना हमेशा बैठ कर के खाना चाहिए अगर जूते वगैरा पहने हुए हैं तो जूते को उतार लें खाने के लिए बैठने का तीन तरीक़ा है।
- सुरीन यानी पीछे के हिस्से को जमा कर बैठें।
- दोनों घुटने को खड़े कर के भी बैठ सकते हैं।
- बायां पाव बिछा कर दायां पैर खड़ा कर के बैठ जाएं।
याद रखें जमीन पर टेका लगा कर के नहीं बैठना है यानी बगैर उज्र बायां हांथ जमीन पर टेका लगा कर बैठना मकरूह माना गया है।
4.खाना खाने की चौथी सुन्नत
खाना खाने से पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम ज़रूर पढ़ लें फिर खाना खाने की दुआ भी पढ़ें इसे आप शैतान के लुकमे से बचेंगे।
हुजूरे पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि व सल्लम ने फ़रमाया जिस खाने पर बिस्मिल्लाह न पढ़ी जाए उस खाने को शैतान हलाल अपने लिए समझता है।
5.खाना खाने की पांचवी सुन्नत
यह तो हालांकि आम बात है कि लोग सीधे हांथ से ही खाते हैं लेकिन हमने इसलिए बयां किया क्योंकी सभी सुन्नत को बता ही दें सीधे हांथ से खाना सुन्नत है।
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि व सल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई खाना खाए तो सीधे हाथ से खाए और जब पीये तो सीधे हांथ से पिये।
6.खाना खाने की छठवीं सुन्नत
यह साथ में खाने पर सुन्नत है कि जब कभी साथ में खाएं तो ख़ुद अपने सामने से लूकमे उठा कर के खाए और कभी भी बर्तन के बीच से खाना न खाएं।
अपने दाहिने हाथ की तीन उंगलियां से खाना खाएं नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया पुरे हांथ से खाना गंवारों का तरीका है।
7.खाना खाने की सातवीं सुन्नत
खाने की इब्तिदा यानी शुरूआत नमक या नमकीन चीज़ से ही करना चाहिए रद्दुल मुख्तार में है कि खाने की इब्तिदा नमक से की जाए और खत्म भी नमक पर।
खाना किसी भी तरह का हो उसमें ऐब न निकालें आज कल यह आम हो चूका है हमारे नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने खाने में ऐब नहीं निकाला।
8.खाना खाने की नौवीं सुन्नत
खाना हमेशा नेक की नियत से खाएं इस नियत से खाएं की खाना इबादत के लिए खा रहा हुं न की शहवत व हवस और ख्वाहिश के सुकून के लिए।
इब्राहिम बिन शबान कहते हैं कि 80 अस्सी बरस होने को आए की मैंने कोई भी चीज़ ख्वाहिश के खातिर नहीं खाई, हमेशा थोड़ा खाएं ज्यादा इबादते इलाही से दूर रखता है।
9.खाना खाने की दसवीं सुन्नत
जहां तक हो सके गर्म खाना तो ले ही नहीं थोड़ी देर रुक जाएं गर्म खाने को ठंडा करके खाना हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सुन्नत है।
लेकीन यह भी याद रखें खाना की फूंक मार के ठंडा नहीं करना है फूंक मारने के बजाए थोड़ा सब्र करना चाहिए ताकी खाना ठंढा हो जाए।
10.खाना खाने की ज़रूरी सुन्नत
अगर खाना खाने से पहले पानी पीना चाहें तो बिस्मिलाह शरीफ़ पढ़ कर के पानी पी लें क्योंकी खाने के शुरू में पानी पीना बहुत ही बेहतर है, लुकमा हमेशा छोटा लें तो अगर दरमियानी यानी पास से हो तो ज्यादा बेहतर है सालन यानी मिलाया हुआ खाना को किनारे से खाना शुरू करें।
रोटी खाए तो रोटी को दोनों हाथों से पकड़कर तोड़ें दस्तरखान पर अगर रोटी गिर जाए तो उठा कर के खा लें और हमेशा नीचे में चटाई या फिर दस्तरखान पर बैठ कर के खाएं हालांकि यह थोड़ा अलग लग रहा होगा लेकीन यही सुन्नत है हमारे नबी ए करीम ने हमेशा सादगी पसंद किया।
जिस बर्तन में खा रहे थे उसमें एक भी दाने न रहने दें पुरा बर्तन साफ़ कर दें खाना ख़त्म करने पर अपने उंगलियों को चाट लें आख़िर में अंगूठे को चाटे खाने के बाद दांतों से बची हुई खुराक को किसी चीज़ के साथ निकालें यानी दांतों का खिलाल करें फिर हांथ धोएं और हाथों से सर और चेहरे पर भी फेर लें।
अगर पानी रह जाए तो तौलियों से पोंछ लें खाने से फारिग होने के बाद खाना खाने के बाद की दुआ पढ़ें और अल्लाह का शुक्र अदा करें जिसने आप को पेट भर कर के खाना खिलाएं ख़ूब याद रखें कि देने वाला तो हमारा अल्लाह ही है इंसान तो बस एक जरिया है।
FAQs
खाना खाना कब फर्ज है?
भूख की वजह से जान की खतरा पर इतना खाना की जान बच सके यह फर्ज़ है।
खाना खाना कब वाजिब है?
नमाज़ रोज़ा में सहीह अदाएगी भूख की वजह से न होने पर हलाल शय का खाना वाजिब है।
खाना खाना कब सुन्नत है?
दीनी या दुन्यावी मशागिल जरिआ मआश यानी रोज़ी रोटी का जरिया सेहत के खातिर तिहाई पेट खाना सुन्नत है।
आख़िरी बात
आप ने इस पैग़ाम में बहुत ही ज़रूरी इल्म हासिल की जिसमें आपने खाना खाने की सुन्नत जाना यकीनन यह आप को जरूर अच्छा लगा होगा अगर अभी भी आपके मन में कुछ सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सवाल का जवाब जरूर पेश करेंगे।
अगर आप ने इस पैग़ाम से कुछ भी हासिल किया हो तो इससे न की सिर्फ अपने तक सीमित रखें बल्कि सभी अज़ीज़ दोस्त तक शेयर करें और अपने आस पास में भी इस्लामिक माहौल बनाए रखें यानी सभी को खाना खाने की सुन्नत और इस्लाम की सुन्नत अमल में लाने को बोलें।
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