Khana Khane Ki Dua In Hindi – खाना खाने की दुआ

आज यहां पर आप खाना खाने की दुआ हिंदी इंग्लिश व अरबी में बहुत ही आसान लफ्ज़ों में पढ़ेंगे यहां पर हमने हर एक लफ्ज़ को बहुत ही आसान लफ्ज़ों में पेश किया है जिससे आप लफ्ज़ों को आसानी से पढ़ पाएंगे।

फिर आप खाना खाने की दुआ पढ़कर और खाने की सुन्नत व आदाब जानकर अपने नामाए आमाल में नेकियों का इज़ाफा करेंगे, इसीलिए आप इस पैग़ाम को आख़िर तक ध्यान से पढ़ें और खाने की दुआ याद भी कर लें।

Khana Khane Ki Dua In Hindi

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम. बिस्मिल्लाहि व अला बर क तिल्लाह

Khana Khane Ki Dua In English

Bismillah Hirrahmaan Nirraheem. Bismillahi Wa Alaa Bar-K Tillah

Khana Khane Ki Dua In Arabic

بِسْمِاللّٰهِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيْم بِسْمِ اللّٰهِ وَعلٰى بَرَکَتِه اللّٰهِ

Khana Khane Ki Dua Ka Tarjuma

अल्लाह के नाम से शूरू जो बहुत ही मेहरबान रहमत वाला मैंने अल्लाह के नाम से और अल्लाह कि बरकत पर खाना शुरू किया

Khana Khane Ki Dua Ka Tarjuma English

Allah Ke Naam Se Shuru Jo Bahut Hee Meharbaan Rahmat Wala. Maine Allah Ke Naam Se Aur Allah Ki Barkat Par Khana Shuru Kiya.

खाना खाने की नियत

खाना खाने वाले को यह नियत करना चाहिए कि इसीलिए खाता हूं कि इबादत के लिए कुव्वत यानी ताकत पैदा हो कि इस नियत से खाना भी की किस्म की ताअत है।

खाने से उसका मकसद लज़्जत पाना और नेमत हासिल करना ना हो की यह बुरी बात है हमेशा ख़ुद के मन में यही नियत होना चाहिए कि इबादत की कुव्वत पैदा हो।

खाना खाने की सुन्नत

हमेशा खाना खाने से पहले अपने दोनों हाथों को गट्टों तक धो लें साथ ही कुली भी कर लें अगर हो सके तो बा वजू हो जाएं ये भी बेहतर है।

और हां खाने खाने की नियत से हांथ धोएं हैं तो अपने हाथों को न पोंछे अगर ज्यादा पानी फ़ैला हो तो एक दुसरे हांथ की मदद से ही ख़त्म कर लें।

खाना खाने की आदाब

खाना खाने के लिए जमी पर चटाई पर बैठे तो ज्यादा मुनासिब है, आजकल के मुआशरे से अपना ईमान बचाए यह बहुत ही खराब है।

जब कभी भी खाना खाएं तो उल्टा पांव बिछा दें और सीधा घुटना खड़ा कर लें और बिछे हुए उल्टे पांव पर बैठ जाएं इसका बाद खाना शुरू करें।

कभी भी पांव फ़ैला कर या फिर सोए सोए खाना न खाएं यह तरिका सारा सर गलत है यह खाना खाने के आदाब के उल्टा यानी खिलाफ़ है।

और कभी भी नंगे सर खाना न खाएं हमेशा खाना खाते वक्त अपने सरे मुबारक को हमेशा ढक के खाएं खवातीनो के साथ मर्दों के लिए भी है।

खाना खाने के लिए तीन उंगली का सहारा लें पांच उंगलियों से खाना गंवारों का तरीका है और छोटे छोटे लुक्मे खाएं रोटी को एक एक टुकड़े तोड़ कर खाएं।

खाना को अच्छी तरह से चबा चबा कर खाएं अगर साथ में खा रहे हैं तो खाते वक्त हल्की सी गुफ्तगू भी जारी रखें लेकीन मौत की और फिजुल की बात न करें।

इससे यह होगा कि यानी मौत की बयान से खाने वाले पर एक तरह से खराब असर पड़ेगा और वह भूखे यानी आधी खाना खा कर उठ जाएंगे।

खाने के बाद अगर साथ में खा रहे थे तो साथ में ही उठें और साथ में बुज़ुर्ग हो तो उन्हें हाँथ धुलाएं इसके बाद खाना खाने के बाद की दुआ पढ़ें

खाना खाने के मकरूहात

अपने बाएं हांथ को जमीन वगैरह पर इस तरह से लगा के खाना की पुरा शरीर का वजन वही ले रहा हो यानी बाएं हांथ को टेका नही लगाना है यह मकरूह है।

आज के मुआशरे में कुर्सी वगैरह पर पैर लटका कर खाने की तरीक़ा उरूज़ पर है याद रखें कुर्सी वगैरा पर पैर को लटका कर के खाना मकरूह है।

कभी भी अपने मूंह से खाने को फूंक कर के न खाएं ऐसा नौबत आए तो गरम खाना को प्लेट में अपने थोड़ा देर ठंडा होने दें यह मकरूह है।

आज कल अपने को तो नहीं लेकीन शादी वगैरह में लोग खाने को बुरा कहते हैं याद रखिए यह सब हरगिज़ सही नहीं खाने को बुरा कहना मकरूह है।

जब भूख लगे तब ही खाना खाएं ऐसा नहीं की किसी की खर्च बढ़ाने या अच्छा लगने पर जबरदस्ती खाएं यह भी भूख से पहले खाना मकरूह है।

खाना खाने से जुड़ी ज़रूरी बात

  1. बगैर हांथ धोए आपके बीमारी को दावत देता है।
  2. बगैर बिस्मिलाह पढ़े खाना बरकत से महरूम करता है।
  3. फल फ्रूट बगैर धोए खाने से बीमारी को बढ़ावा देता है।
  4. खड़े हो कर खाने से सेहत में नुकसान व बीमारी भी बढ़ता है।
  5. खाने के बाद अल्हमदुलिल्लाह न कहने से बरकत खत्म होती है।

खाना खाने से जुड़ी कुछ हराम चीज़ें

हराम जानवर मसलन कौवा चील दरिंदे वगैरा का गोश्त खाना हराम है।

चांदी या फिर सोने के बर्तन में मर्द और औरत दोनों को खाना खाना हराम है।

मछली के सिवा दरिया तालाब समुंद्र के तमाम जानवर को खाना हराम है।

खाना खाने की दुआ से जुड़ी हदीस

हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हुं फरमाते हैं मैंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बैठ कर खजुरे खाते देखा है।

हज़रत आयशा रजियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई खाना खाए तो बिस्मिल्लाह पढ़े अगर शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना भुल जाएं तो बिस्मिल्लाहि व अव्वलहु व आखिरहु पढ़े।

हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हुं से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तमाम उम्र न तो मेज पर रख कर खाया और न ही मैदा की रोटी खाई हुज़ूर ने सादगी पसंद फरमाई और फकर यानी ग़रीबी इख्तियार किया।

हज़रत सलमान रजियल्लाहु अन्हुं ने फ़रमाया कि मैंने तौरेत में पढ़ा कि खाने बरकत का जरिया उसके बाद हांथ धोना है, मैंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इसका जिक्र किया तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि – खाने की बरकत का जरिया उससे पहले और उसके बाद हाथों को धोने में है।

FAQs

खड़े हो कर खाना कैसा?

प्यारे नाबिये करीम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने खड़े होकर खाने से मना फ़रमाया है।

जुता पहन कर खाना कैसा?

जुता पहन कर नहीं खाना चाहिए हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने मना फ़रमाया है।

अगर खाने से पहले दुआ भुल जाएं तो क्या करें?

अगर आप दुआ भुल जाएं तो जब भी याद आए बिस्मिल्लाहि व अव्वलहु व आखिरहु पढ़ लें।

आख़िरी बात

आप ने इस पैग़ाम में बहुत ही ज़रूरी और अच्छी बातों का इल्म हासिल किया जिसमें आप ने खाना खाने की दुआ, सुन्नत और आदाब साथ ही हमने यहां पर और भी अत्यंत ज़रूरी बात को भी लिखा क्योंकी सिर्फ दुआ पर पढ़ना दुरुस्त नहीं है साथ ही खाना का आदाब भी मालुम होना चाहिए।

जिससे आप पुरा सवाब हासिल कर सकें और अपने नबी ए करीम के बताए अमल को पुरा करके दुनिया और आखिरत में भी सुकून हासिल करते रहें अगर अभी भी आपके मन में कुछ भी किसी तरह के खाने की दुआ से जुड़ी कोई सवाल हो तो आप कॉमेंट करके ज़रूर पूछें।

अगर यह पैगाम आपको अच्छा लगा हो तो इससे अपने अजीज दोस्त तथा सभी मोमिनों तक ज़रूर पहुंचाएं जिससे वो सब भी अपने नबी ए करीम की सुन्नत अदा कर सकें और आपके साथ साथ हम भी अपने नामाए आमाल में सवाब का इज़ाफा कर लें दिल से शुक्रिया।

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