Azan Ke Baad Ki Dua – अज़ान के बाद की दुआ

आप इस पैग़ाम में अज़ान के बाद की दुआ जानेंगे जो बहुत ही जरूरी है हर उस मोमिन बन्दे के लिए जो अपने अल्लाह और अल्लाह के रसूल के मुताबिक जिन्दगी गुजारना चाह रहे हैं सभी मज़हब ए इस्लाम के लोग अपने रब के फ़रमान के मुताबिक़ इस रंज व गम भरी जीवन बिताना चाहते हैं।

हम सभी मोमिन हर रोज़ पांच वक्त अज़ान सुनते हैं लेकिन फिर इसके बाद दुआ नहीं करते क्यूंकि मालूम ही नहीं होता लेकिन हम सभी ने इससे जानने की कोशिश की जो बहुत ही अच्छी व खुशी की बात है क्यूंकि शुरु में कोई भी नहीं जानता बाद में ही सब सीखने के बाद पढ़ते हैं।

आप इस पैग़ाम को पढ़ने के बाद इसे अपने जेहन व दिमाग़ में भी बसा लेंगे क्यूंकि इसे दिन भर में पांच बार आपको पढ़ना ही है इसीलिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़िए और याद भी कर लीजिए और हमेशा हर अज़ान के बाद हर दिन पढ़ा कीजिए इससे पहले बिस्मिल्लाह शरीफ़ ज़रूर पढ़ें।

Azan Ke Baad Ki Dua

अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदिंव‌ व आलेहि वसल्लिम। अल्लाहुम्म रब्ब हाजिहिद दअवतित ताम्मति वस्सलातिल काइमति आति सय्यिदिना मुहम्मदा निल वसि‌ ल त वल फदि ल त वद द र जतर्रफी अ त वब अस्हु मकामम महमु दनिल् लजी व अत्तहू वरजक्ना शफा अ तहू यौमल क़ियामति इन्नका ला तुख्लिफुल मीआद।

Azan Ke Baad Ki Dua In English Transliteration

Allahumma Salli Ala Sayyideena Muhammadi’w W Aalehi Wasallim. Allahumma Rabba Haziheed Da’wateet Taammati Wassalatil Ka-emati Aatee Sayyideena Muhammada Nil Wasilata Wal Fadilata Wad Dar Jatrrafi Ataa wabaa Asahoo Makaamam Mahmu Danil Lazi W Attahu Warazakna Shafaa Atuhu Yaumal Kiyamati Innaka La Tukhliful Mi’Aaad.

अज़ान के बाद की दुआ का तर्जुमा

ऐ अल्लाह इस दुआए ताम नमाज बरपा होने वाले के मालिक तू हमारे सरदार मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैही वस्सलम को वसीला और फज़ीलत और बलन्द दर्जा अता कर और उनको मकामे महमूद में खड़ा कर जिसका तूने वअदा किया है बेशक तू वादे के खिलाफ नहीं करता।

अज़ान का जवाब देने का तरीका

अज़ान:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
जवाब:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अज़ान:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
जवाब:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अज़ान:- अशहदु अंल्लाइलाहा इल्लल्लाहु
जवाब:- अशहदु अंल्लाइलाहा इल्लल्लाहउ

अज़ान:- अशहदु अंल्लाइलाहा इल्लल्लाहु
जवाब:- अशहदु अंल्लाइलाहा इल्लल्लाहउ

अज़ान:- अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसुलल्लाह
जवाब:- अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसुलल्लाह

अज़ान:- अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसुलल्लाह
जवाब:- अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसुलल्लाह

अज़ान:- हय्या अलस्सल्लाह
जवाब:- लाहौ ला कुव्व ता इल्ला बिल्लाह

अज़ान:- हय्या अलस्सल्लाह
जवाब:- लाहौ ला कुव्व ता इल्ला बिल्लाह

अज़ान:- हय्या अलल फलाह
जवाब:- लाहौ ला कुव्व ता इल्ला बिल्लाह

अज़ान:- हय्या अलल फलाह
जवाब:- लाहौ ला कुव्व ता इल्ला बिल्लाह

अज़ान:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
जवाब:- अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अज़ान:- ला इल्लाहा इल्लल्लाहु
जवाब:- ला इल्लाहा इल्लल्लाहु

अज़ान से जुड़ी कुछ जरूरी मसाइल

  • जो अज़ान के वक्त बातों में मशगूल रहे उस पर मआजअल्लाह खात्मा बुरा होने का खौफ है।
  • रास्ता चल रहा था कि अज़ान की आवाज़ आई तो उतनी देर खड़ा हो जाये और जवाब दे।
  • जब मुअज्जिन अश्हदु अन मुहम्मदुर रसुलुल्लाह कहे तो सुनने वाला दुरूद शरीफ़ पढ़े और मुस्तहब है कि अंगुठों को बोसा देकर आंखों से लगा ले।
  • जब अज़ान हो तो उतनी देर के लिए सलाम कलाम और जवाबे सलाम तमाम अशगाल रोक दें।
  • यहां तक कि कुरआन मजीद कि तिलावत में अज़ान कि अवाज आये तो तिलावत रोक दें।
  • खूत्बे कि अज़ान का जवाब जबान से देना मुक्तदियों को जायज नहीं।

FAQ

सबसे पहले अज़ान किसने दी?

सबसे पहले हजरते जिब्रीले अमिन अलैहिस्सलाम ने मेराज कि रात बैतूल मूकद्दस में अज़ान दी।

अज़ान पांच वक्त के अलावा और कब देना चाहिए?

अज़ान पांच वक्त के अलावा बच्चे के पैदाइश पर भी उसके दाहिने कान में दिया जाता है।

परेशानी में अज़ान देना कैसा है?

परेशानी में अज़ान देना सुन्नत है इससे मुसिबत टलता है और परेशानी से निजात मिलती है।

आख़िरी बात

आपने इस पैग़ाम के ज़रिए अज़ान की बाद की दुआ बहुत ही आसान और अपने मनपसंदीदा भाषा में जाना हमने यहां हिंदी के साथ साथ इंग्लिश ट्रांसलिटरेशन में भी बताया क्यूंकि हमारे कुछ मोमिनो को हिंदी की अच्छी इल्म नहीं होती लेकिन इंग्लिश की होती है।

हमारा तरफ़ से कोशिश रहा की हम पुरी बात बताएं जिसे हमारे मज़हब ए इस्लाम के सभी लोग अमल करे और अपने रब का रास्ता का शुक्रगुजार रहे अगर आपको इस लेख से कुछ भी सीखने को मिला हो तो अपने दोस्तों अहबाबों को भी सुन्नत और आदाब बताए।

अपने मजहब की सभी बात ज्यादा से ज्यादा मात्र में फैलाएं, ऐ अल्लाह तबारक व तआला यहां पर लिखी दुआ पढ़ने लिखने में जो भी गलती हुई हो अपने फ़ज़ल व एहसान से मुआफ़ अता फरमा और नेक व सही काम करने की तौफ़ीक अता फरमा।

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