Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua – रोजा खोलने और रखने की सही दुआ [Ramadan 2024]

हम सभी मुसलमानों के लिए हर साल रमज़ान उल मुबारक एक अलग ही फजीलत के साथ हमारे दरमियान आता है। जिसमें हम सब रोजा रख कर नमाज़ व कुरान पढ़ कर ख़ूब रहमत हासिल किया करते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua पढ़ कर और भी रहमत व बरकत हासिल की जा सकती है। जी हां बिल्कुल, रोजा रखने की नियत और रोजा खोलने की दुआ पढ़ने से नेकी में और इज़ाफा होती है।

Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua In Hindi

आज यहां पर आप इन्हीं दो दुआओं को बहुत ही साफ़ और आसान भाषा में जानेंगे। इसके बाद आपको कहीं पर भी Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua नहीं देखनी पड़ेगी, इसीलिए आप यहां पर ध्यान से पढ़ें और समझें।

Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua

Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua
Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua

आप यहां पर रोजा खोलने और रोजा रखने की दुआ को हिंदी, अरबी और इंग्लिश में जानेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, किसी भी दुआ को अपनी अरबी भाषा में ही पढ़ना सही माना जाता है। जिसे लफ्ज़ की अदायगी सही हो सके।

अगर आपकी कमांड अरबी लैंग्वेज पर सही न हो तो आप Roza Kholne Aur Rakhne Ki Dua हिंदी या इंग्लिश में भी पढ़ कर बरकत पा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे दुआ पढ़ने से पहले एक बार बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम ज़रूर पढ़ें।

Roza Kholne Ki Dua In Hindi

Roza Kholne Ki Dua In Hindi

आप इस दुआ को यहां हिंदी में सही से पढ़ें। जिसे आपको इसका भरपुर सवाब हासिल हो। क्योंकी एक लफ्ज़ की गलती से मायने बदल जाते हैं ध्यान रखें।

“अल्लाहुम्मा इन्नि लक सुम्तू व बिक आमन्तु व अलैक तवक्कल्तु व अला रिज्कि क अफ तरतू”

एक बात पर ध्यान दें अगर आप अरबी पढ़ना जानते हैं तो कृपया अरबी दुआ ही पढ़ें।

Roza Kholne Ki Dua In Arabic

Roza Kholne Ki Dua In Arabic

अगर आप कोशिश करेंगे तो इंशाल्लाह बहुत आसानी से अरबी दुआ भी पढ़ सकेंगे।

“اَللّٰهُمَّ اِنِّي لَکَ صُمْتُ وَ بِکَ اٰمَنْتُ وَ عَلَيْکَ تَوَ کّلْتُ وَ عَلٰى رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ”

इसका मतलब है: ऐ अल्लाह मैंने तेरी खातिर रोजा रखा और तेरे उपर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे रिज्क से इसे खोल रहा हूं।

Roza Kholne Ki Dua In English

Roza Kholne Ki Dua In English

“Allahummaaa innii La Ka Sumtoo Wa Bi Ka Aaamantoo Wa Alaika Tawakkaltoo Wa Ala Rizkee Ka Aftartoo.”

आप ने अभी तक रोज़ा खोलने की यानी इफ्तार की दुआ पढ़ रहे थे अब आईए आगे जानते हैं रोज़ा रखने की दुआ और इसे भी हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश में भी तर्जुमा के साथ समझेंगे तो आप ध्यान से पढ़ें।

Roza Rakhne Ki Dua In Hindi

Roza Rakhne Ki Dua In Hindi

किसी भी नेक व जायज़ काम करने के लिए आपके मन में दिल में एक पक्का इरादा होना चाहिए, कि आप वो काम शिद्दत से करने जा रहे हैं, नहीं तो कोई भी भूखा रह सकता है लेकिन सब की रोज़ा नहीं होती।

आप इस दुआ को अपने जुबान से नहीं भी पढ़ सकते हैं तो भी कोई हर्ज नहीं होगी। लेकिन आपके दिल में पक्का इरादा होना चाहिए, कि हम इस रोजा को अपना रब की रजा के लिए और ख़ुद का सवाब के लिए रख रहे हैं।

सबसे बेहतर होगा कि आप नीचे लिखी दुआ को दिल से पढ़ लें। यहां पर भी इस बात का ध्यान रखें कि एक बार अरबी दुआ को सही से ज़रूर पढ़ें। जिसे आपको सही सही रोज़ा रखने की दुआ पढ़ना आ जाए कोशिश ज़रूर कीजिएगा।

“अल्लाहुम्मा नवैतुअन असौमा गदन लिल्लाहि तआला मिन फर्जी रमज़ान”

Roza Rakhne Ki Dua In Arabic

Roza Rakhne Ki Dua In Arabic

किसी भी कुरानी या फिर मस्नून दुआ को भी अरबी में ही पढ़ना चाहिए आप कोशिश ज़रूर करें।

“‏اَللّٰهُمَ نَوَيْتُ اَنْ اَصُوْمَ غَدًالِلّٰهِ تَعَالٰى مِنْ فَرْضِ رَمَضَاَنَ”

इसका मतलब है: मैंने नियत की, कि अल्लाह के लिए कल इस रमज़ान का फर्ज़ रोज़ा रखूंगा। क्योंकी रमज़ान के रोजे हर बालिग औरत और मर्द पर फर्ज है।

Roza Rakhne Ki Dua In English

Roza Rakhne Ki Dua In English

“Allahummaa Nawaitu’an Asaumaa Gadan Lillahi T’Aala Min Farzii Ramzaan”

रोजा खोलने का तरीका

Roza Kholne Ka Tarika - रोजा खोलने का तरीका

इफ्तार का वक्त हो जाए तो पहले आप सही से वजू कर के इफ्तार यानी रोजा खोलने के लिए बैठें।

आप भी शायद इस बात को जानते ही होंगे कि मगरिब में नमाज के लिए बहुत ही कम वक्त होता है।

इफ्तार के वक्त से दस मिनट पहले ही सब यानी पुरी Family एक जगह जमा हो जाएं मर्द व औरत अलग अलग बैठें।

इसके बाद दुआ दिन दुन्या व आखिरत के खातिर करें जब अजान होना शुरू हो जाए।

तब दुआ पढ़ कर रोज़ा खोलें फिर जब तक अज़ान मुकम्मल न हो जाए तब तक बैठे रहें।

अज़ान मुकम्मल हो जानें के बाद अज़ान के बाद की दुआ पढ़ लें।

इसके बाद जो भी हो आप खाए पिएं और नमाज अदा करने चले जाएं।

हमेशा रोजा खुजूर से खोलें और खुजुर न हो तो पानी से खोलें।

हज़रत सुलेमान बिन आमिर रजियल्लाहु तआला अन्हुं बयान करते हैं कि।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई इफ्तार करे तो उसे चाहिए कि खजुर से करे।

क्योंकि इसमें बरकत है अगर खजूर न हो तो पानी से करे क्योंकि पानी पाक होता है।

आख़िरी बात

आप ने इस आर्टिकल में एक बहुत ही बड़ी बरकत और रहमत भरी दुआ यानी रोजा खोलने और रोजा रखने की दुआ पढ़ा साथ ही और भी कई तरह के बेहतरीन जानकारी प्राप्त किया हमने यहां पर सभी बातों को साफ और बहुत ही आसान स्पष्ट लफ्ज़ों में बताया था।

जिसे आप पढ़ने के बाद आसानी से समझ जाएं और अमल में ला कर ख़ूब सवाब हासिल करें अगर इसे पढ़ने के बाद भी आपके मन में कोई सवाल या फिर किसी तरह का कोई डाउट हो तो आप हमसे अपने सवालों को कॉमेंट करके पूछ सकते हैं हम जवाब जरूर देंगे इंशाल्लाह।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of IS Raza. I'm a Sunni Muslim From Ranchi, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.