Karamat-e-Tajushariya । आला हज़रत की करामत

आज की इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको नबीए आला हज़रत जानशीने मुफ्तिए आज़म ताजुश्शरिया अल्लामा मुफ्ती अलहाज अश शाह हाफिज व कारी मोहम्मद अख्तर रजा खान कादरी अजहरी दावत बरकातुहूमूल आलिया के कश्फ करामत का मजमा बताएंगे, हमें और आपको यह बात मालूम है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु ताला अलैही वसल्लम की जात सतुदा सिफात से जिसको निस्बत का शर्फ हासिल हो जाए।

वह खुदा का मकबूल व महबूब बंदा हो जाया करता है, अल्लाह तबारक व ताला ने उन्हें खासाने खुदा वह मकबूलाने बारगाह की तरह मेरे पीर व मुर्शिद रहबरे शरीअत व तरीकत आरीफ बिल्लाह मुफ्ती हाफिज व कारी अलहाज मोहम्मद अख्तर रजा कादरी अजहरी दामतबरकातुहूमुलआलिया को मुंतखाब फरमाया, उन्हें अपना महबूबा मकबूल बंदा बनाया, आइए इनका कुछ बेहतर करामात हम सभी जानते हैं।

Karamat-e-Tajushariya

  • इल्म में तरक्की हासिल की
  • आपने इस्लाम का परचम लहराया
  • अपने इस्लाम की हक के खातिर लड़े
  • नमाज़ के लिए ट्रेन का रुकना
  • आंख का ऑपरेशन बगैर इंजेक्शन के होना
  • हवाई जहाज का वापस आना
  • प्रोफेसर का टाई उतारना
  • बारिश के लिए दुआ
  • कंधों पर चारपाई

इल्म में तरक्की हासिल की

हुजूर की दिलचस्पी हदीस व उसूल ए हदीस पढ़ने में था, लेकिन उन्हे इल्मे कलाम का भी बेहतर जानकारी थी, जब इनसे इल्में कलाम के कुछ सवाल पूछे गए तो ताजुश्शरिया ने इनका जवाब साफी व काफी तरीके से दिया।

जिसके कारण हुजूर ताजुशरिया को जामिया के मुतमइन ने जमाअत में पहला मकाम और पहली पोजिशन दिया, फिर आपने यानी हुजूर ताजुशरिया ने 1964 ईस्वी में जामिया अजहर को टॉप किया उस वक्त इन्हे सदर के हाथों द्वारा अवार्ड किया गया था।

आपने इस्लाम का परचम लहराया

जब एक समय दुश्मनाने दीन दुसरी तरफ हसिदीन अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए घात में लगे हुए मैदान अमल में उतरने के लिए तोल रहे थे, हालात ना साजगार थे मुखालिफत उरूज पर थी, जहां पर हक का बात कहना मुश्किल हो रहा था।

लेकिन आपने जुरते ईमानी और अखलाकी कुवत से मुस्लेह होकर इल्मेे सदाकत लहराया, दीन के दिफाअ और अजमत ए मुस्तफा जाने रहमत सल्लल्लाहु ताला अलैही वसल्लम के तहफ्फुज के लिए इस कदर सरफरोशी से मैदान अमले में आए की देखते ही देखते उनकी बात को सुना जाने लगा।

अपने इस्लाम की हक के खातिर लड़े:-

हुजूर मुफ्ती आजम अल्लामा मोहम्मद अख्तर रजा खान अजहरी बरेलवी उम्मत मुस्लिमा की रहनुमाई और कियादत में हमेशा पेश रहे एक जमाना वह था जब शाह बानो मसला को लेकर परसनल लॉ पर हमला किया जा रहा था, सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत ए इस्लामिया के खिलाफ फैसला करार दिया था।

इस फैसले के खिलाफ उलमा अहले सुन्नत ने चैलेंज किया और पूरे मुल्क में एहतिजाजी मजाहिरा व इजलास के जरिया अपने जज्बात व एहसासत को हुकूमत हिंद तक पहुंचाया, आवामी सतह पर दबाव इस कदर बढ़ गया था कि हुकूमत हिंद को मजबूरन पार्लियामेंट के जरिया कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसला को कल अ दम करार देना पड़ा।

नमाज़ के लिए ट्रेन का रुकना

जब हजरत ताजुशरिया बनारस जा रहे थे तो उन्हे लखनऊ के रेलवे स्टेशन पर नमाजे ईशा का वक्त हो गया था, लखनऊ पहुंचने से पहले हजरत बैतूल खला के लिए गए थे, जब बैतूल खला से फारिग हुए तो ट्रेन के छूटने का वक्त हो गया था लेकिन जब हज़रत ने जब बाहर तशरीफ लाएं उस वक्त ट्रेन स्टेशन से रवाना नहीं हुई थी।

हजरत नमाजे ईशा अदा करने के लिए जाये नमाज का हुक्म दिए, इसके बाद कुछ ही देर में ट्रेन चलने लगी, हजरत के हुक्म पर मुसल्ला बिछा दिया गया लेकिन जैसे ही मुसल्ला पर हजरत ने कदम रखा फौरन ट्रेन अचानक से रुक गई हजरत ने नमाज के लिए खड़े हो गए, हजरत इत्मीनान के साथ खड़े होकर नमाज ईशा अदा फरमाई, फिर सलाम फिरते ही ट्रेन शुरू हो गई और चलने लगी।

आंख का ऑपरेशन बगैर इंजेक्शन के होना

जब हजरत ताजुशरिया साउथ अफ्रीका, जिंबाब्वे, हरारे तंजानिया वगैरा के सफर पर बरेली से जाते हैं तो उनके आंख से कभी कभी खून निकल जाता था, जिसके कारण सभी लोग ने हजरत को सफर करने से मना भी कर रहे थे लेकिन हजरत तो वादे के बहुत पक्के थे।

इसलिए वादा खिलाफी ना हो तसरीफ ले गए, साउथ अफ्रीका पहुंचने पर हजरत की परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है फिर उन्हें उनके साथी अस्पताल ले जाकर मशहूर डॉक्टर को दिखाते हैं, डॉक्टर परेशानी खत्म करने के लिए कुछ दवाइयां तथा ऑपरेशन की सलाह देती है।

लेकिन ऑपरेशन के वक्त डॉक्टर और डॉक्टर की टीम को हजरत किसी भी प्रकार के इंजेक्शन सुन करने या झिनझिनाने के लिए नहीं लेने के लिए बोलते हैं, ऐसे में डॉक्टर और डॉक्टर की टीम हैरान होते हैं और बोलते हैं कि बगैर इसके संभव नहीं है।

लेकिन हजरत ने अपनी बात पर बने रहे, हुजूर ने डॉक्टर से फरमाया कि आप लोग बेफिक्र होकर मेरा ऑपरेशन कीजिए, इंशा अल्लाह ताला मुझे कुछ तकलीफ नहीं होगा, ऑपरेशन लगभग साढ़े तीन घंटे तक चला और सात टांके भी लगे, लेकिन हजरत के जुबान मुबारक पर दुरुद शरीफ और कसीदा बुर्दा शरीफ का विरद जारी रहा।

हवाई जहाज का वापस आना

हजरत ताजुश्शरिया के हमराह लेखक के अलावा मौलाना मोहम्मद आशिक हुसैन कश्मीरी और मुफ्ती शोएब रजा कादरी भी थे मोहतरम मुफ्ती साहब ने अपनी तकरीर में अपना एनी मुशाहिदा बयान किया कि गुजरता साल हजरत के हमराह जिंबाब्वे के एयरपोर्ट पर हम लोग दूसरे शहर की फ्लाइट पकड़ने के लिए पहुंचे लेकिन प्लेन रनवे पर जा चुका था।

वहां की मैनेजर ने कहा कि आपका जाना अब मुमकिन नहीं है, हजरत ने फरमाया कि अल्लाह ताला पर भरोसा करो अल्लाह जो करेगा बेहतर करेगा परेशान होने की कोई बात नहीं है हालांकि आगे भी प्रोग्राम था, थोड़ी ही मिनट ही गुजरे थे कि मैनेजर आए और बोलने लगे कि आप लोग चलिए प्लेन रनवे पर जाने के बाद वापस आ गया है शायद आप लोगों को ले जाना मकसद था।

प्रोफेसर का टाई उतारना

जब हुजूर ताजुशरिया का सफर हॉलैंड का हुआ, जलसा में बहुत से डॉक्टर और प्रोफेसर टाई लगाकर तशरीफ लाए थे आपने टाइ की हकीकत और टाई के ताल्लुक से ईसाइयों की अकीदे पर भरपूर तकरीर फरमाए और टाई के जीतने अक्साम है उन की वजाहत फरमाई।

इस ताल्लुक से जलसा के बाद आप से इस्तीफता हो, आपने दलाइल व बराहीन के साथ तसफ्फी बक्स जवाब हायलैंड रवाना फरमाया इस सिलसिला के बाद आपकी किताब मुसम्मा ‘टाई का मसला’ वजूद में आया आपने हुक्मे शरअ बयान फरमा कर अपने आलिमाना फकीहाना को मजरूह होने से बचा लिया।

बारिश के लिए दुआ

एक समय की बात है जब हुजूर ताजुश्शरिया लखनऊ की दस्तारबंदी में शामिल होते हैं तो उन दिनों वहां बारिश नहीं हो रही थी, सख्त कहत साली के अय्याम गुजर रहे थे वहां के लोगों ने हुजूर से अर्ज किया कि हुजूर बारिश के लिए दुआ फरमा दे हजरत ने नमाज इस्तिस्खा पढ़ी और दुआएं की अभी दुआ कर ही रहे थे कि वहां मूसलाधार बारिश होने लगी और सारे लोग भी गए।

कंधों पर चारपाई

मशहूर तज़करा निगार मौलाना गुलाम जागीर समसी मिस्बाही बयान करते हैं कि एक दफा बरसात में ताजुश्शरिया अल्लामा अख्तर रजा खान अजहरी तशरीफ लाए मेरे गांव के हजरत मौलाना अब्दुल हय य नूरी जो मेरे करीबी रिश्तेदार हैं हरिपुर जाने के लिए तैयार कर लिए, बायसी से फकीर को टूटी चौक तक मारुति से लाएं लेकिन वहां से हरिपुर जाने में नाले का पानी था।

और किराए का कश्तियां चलती थी जो कि उस समय मौजूद ही नहीं थी, मौलाना नूरी में चारपाई मंगाई हजरत ताजुशरिया को बैठाया और चार लोग कंधों पर उठाकर चल दिए हुजूर अंदर से जमाल तथा बाहर से जलाल में भरे हुए थे उन्होंने फरमाया या अल्लाह लोग मरने के बाद चार कंधों से उठाए जाते हैं आप लोगों ने मुझे जीते जी सवार कर दिया।

करामात किसे कहते हैं?

जब अल्लाह अपने प्यारे बंदों को इज्ज़त अफजाई के लिए अपनी खुसूसी अत्यात और नवाजिशात से नवाजता है, तो उन से कुछ उमूर खर्क आदत सादिर होते हैं क्यूंकि अल्लाह बहुत ही रऊफ व रहीम और करीम है, जिसे करामत से ताबीर किया जाता है।

निष्कर्ष

आपको इस आर्टिकल में हज़रत मोहम्मद अख्तर रजा खान अजहरी साहब का कुछ बेहतरीन करामत जानने को मिला होगा, इसके अलावा और भी हजरत मोहम्मद अजहरी मियां साहब ने करामात दिखाए हैं, हमने इस आर्टिकल में अनोखा करामात पेश किया है, हमें आपसे यह उम्मीद है कि यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा, अगर आप अपना विचार हमें बताना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से साझा कर सकते हैं।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of IS Raza. I'm a Sunni Muslim From Ranchi, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

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