Isha Ki Namaz Ka Tarika – ईशा की नमाज़ का तरीका

आज के इस पैगाम के जरिए आप जानेंगे कि ईशा की नमाज़ का तरीका क्या होता है, हमारे मज़हब ए इस्लाम में पांच वक्त की नमाज की पाबन्दी बहुत ही ज़रूरी है, हमें और आपको हर रोज़ की नमाज़ एन वक्त यानी समय पर अदा करना चाहिए।

हमारे और आपके बीच बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं कि वो नमाज़ अदा तो करना चाहते हैं लेकिन मुकम्मल जानकारी या नमाज़ अदा करने की इल्म नहीं होने के कारण वो नमाज़ अदा नहीं कर पाते हैं, आज हम आपको एक वक्त की नमाज के बारे में बताएंगे जिसे ईशा की वक्त में अदा किया जाता है जिसे ईशा की नमाज़ भी कहा जाता है।

हम आपको इस आर्टिकल के ज़रिए आपको इसी नमाज़ की जानकारी देंगे, अगर आप ईशा कि नमाज़ पढ़ने का दुरूस्त एवं मुकम्मल जानकारी जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंतिम तक ध्यान से पढ़े, इसे पढ़ने के बाद आप ईशा की नमाज़ अदा करना जरूर जान जाएंगे।

Isha Ki Namaz Ka Tarika

ईशा की नमाज़ में सबसे पहले चार रकअत की सुन्नत नमाज़, इसके बाद चार रकअत फर्ज़ फिर दो रकअत सुन्नत इसके बाद दो रकअत नफ्ल फिर तीन रकअत वित्र और आखिरी में फिर दो रकअत नफ्ल अदा की जाती है।

हमने सभी को एक एक करके बताया है आप अच्छे और दुरूस्त तरीके से ईशा की नमाज़ मुकम्मल करने के लिए ध्यान से शुरूआत से लेकर आखिर तक पढ़े।

ईशा की चार रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने ईशा के चार रकअत सुन्नत कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. नियत में जब अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. फिर इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और खड़े होने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब चंद सेकेंड में करें।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. यहां पर सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन, पांच या सात बार सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. इसके बाद लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं क्योंकि हमें चार रकअत पढ़नी है अब दुसरी रकअत भी मुकम्मल हो गई।

तीसरी रकअत:-

  1. अब यहां पर भी तीसरी रकअत सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई छोटी या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन, पांच या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. फिर से लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहें और सीधे खड़े हो जाएं यहां तक तीन रकअत मुकम्मल हो गई।

चौथी रकअत:-

  1. आखिरी में यहां पर भी चौथी रकअत में बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई छोटी या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन‌ बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होगा कि दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।

यहां तक आपकी ईशा की नमाज के चार रकअत सुन्नत मुकम्मल हो गई।

ईशा की चार रकअत फर्ज पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. आप सबसे पहले ईशा की फर्ज कि नियत करें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथों को अपने कान कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  2. अगर आप ईशा कि फर्ज जमाअत के साथ अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब को अल्लाहु अकबर कहने पर नियत बांधे।
  3. अब आप सना यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. फिर इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. लेकिन इस बात पर गौर करें कि अगर आप ईशा कि फर्ज जमाअत के साथ अदा कर रहे हैं तो सिर्फ आप सना तक पढ़े।
  8. इमाम साहब अल्हम्दु शरीफ और सुरह को पढ़ेगे सिर्फ़ आपको सुनना है।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  10. यहां पर भी ध्यान देने की बात यह है कि अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ करेंगे।
  11. लेकिन कम से कम तीन बार आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना ही है।
  12. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  13. अगर जमाअत के साथ ईशा कि फर्ज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर उठना है।
  14. लेकिन आपको यहां पर भी रब्बना लकल हम्द कहना ही है।
  15. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  16. इसी तरह आपको दो बार सज्दा करना है।
  17. अगर इमाम साहब के पिछे नमाज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।

यहां तक ईशा की नमाज की फर्ज नमाज की पहली रकअत मुकम्मल हो गई।

दुसरी रकअत:-

  1. फिर अल्लाहु अकबर कहने पर उठ जाएं या इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो उनके कहने पर सीधे खड़े होना है।
  2. अब दूसरी रकअत में आपको सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा और कोई सूरह को पढ़ना है।
  3. लेकिन बा जमाअत यानी इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आपको सुरह फातिहा और सुरह पढ़ना नहीं बल्कि सिर्फ सुनना है।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार यहां पर भी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  5. यहां पर भी ध्यान देने की बात यह है कि अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ करेंगे।
  6. लेकिन कम से कम तीन बार आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना ही है।
  7. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  8. अगर जमाअत के साथ ईशा कि फर्ज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर उठना है।
  9. लेकिन आपको यहां पर भी रब्बना लकल हम्द कहना ही है।
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  11. अगर इमाम साहब के पिछे नमाज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।
  12. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  13. अत्तहियात में जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं।
  14. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं इमाम के साथ हो तो उनके कहने पर खड़े होना है।

तीसरी रकअत:-

  1. अब सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े और रूकुअ करें।
  2. लेकिन अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके कहने पर ही पिछले बार की तरह ही रूकुअ करें।
  3. इसके बाद अल्लाहु अकबर करते हुए हर बार की तरह सजदा करें इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें।

चौथी रकअत:-

  1. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर सीधे खड़े हो जाएं और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े।
  2. लेकिन इमाम के साथ है तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सीधे खड़े हो जाएं लेकिन सूरह फातिहा को न पढ़े।
  3. अगर इमाम साहब के पीछे हैं तो अल्लाहु अकबर कहते हुए या फिर इमाम साहब के कहने पर रूकुअ में जाएं और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  4. अब समीअल्लाहु लिमन हमिदह कहें‌ फिर रब्बना लकल हम्द कहते हुए खड़े हो जाएं।
  5. अगर इमाम साहब के पीछे हैं तो उनके समीअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर खड़े होना है लेकिन रब्बना लकल हम्द कहें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर करते हुए हर बार की तरह सजदा करें इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें।
  7. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
  8. अगर इमाम के पीछे ईशा की फर्ज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहू अकबर कहने पर तशह्हुद के लिए बैठना है।
  9. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  10. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होगा कि दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  11. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  12. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  13. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
  14. अगर इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहने पर सलाम फेरें।

यहां पर आपकी ईशा की फर्ज नमाज़ भी मुकम्मल हो गई।

ईशा कि दो रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने ईशा की दो रकअत सुन्नत कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना पढ़े यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब थोड़े समय में करें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक पहली रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. यहां पर दूसरी रकअत मे सना न पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको मालूम होना चाहिए कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।

यहां तक आपकी ईशा की दो रकअत सुन्नत नमाज़ भी मुक्कमल हो गई।

ईशा की दो रकअत नफ्ल पढ़ने का तरीका

पहली रकअत:-

  1. सबसे पहले नियत करें मैने ईशा की नफ्ल कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और नीचे हाथ करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना पढ़े यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें ये सब थोड़े समय में करें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

दूसरी रकअत:-

  1. अब सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको यह जरूर मालूम होगा कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाएं।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।

यहां पर आपकी ईशा की नफ्ल नमाज़ भी मुक्कमल हो गई।

ईशा की तीन रकअत वित्र पढ़ने का तरीका

यह नमाज यानी ईशा की तीन रकअत वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका थोड़ा अलग है।

हम सभी जानते हैं कि इस नमाज़ की हमारे मज़हब ए इस्लाम में फजीलतें भी बहुत है।

इस नमाज़ को दुरूस्त तरीके से मुकम्मल करने का तरीका मैने अलग पैगाम के जरिए बताया है।

अगर आप ईशा कि वित्र नमाज़ का तरीका जानना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक करें।

इसके बाद फिर से ईशा कि दो रकअत नफ्ल नमाज़ अदा करनी होती है।

ईशा की दो रकअत नफ्ल पढ़ने का तरीका

अगर आपको पहले की दो रकअत नफ्ल का तरीका मालुम हो गया है तो आप सभी चीज़ वही पढ़े।

यहां पर भी ईशा कि दो रकअत नफ्ल नमाज़ पहले की ही नफ्ल नमाज़ की तरह अदा की जाती है।

यहां पर भी यानी इस दो रकअत की नफ्ल नमाज़ में नाही नियत नाही तरीका कुछ नहीं बदलाव करने की ज़रूरत है।

जिस तरह से आपने पहले की दो रकअत नफ्ल अदा की हो उसी प्रकार से इसे भी मुकम्मल करें।

किसी भी प्रकार की कन्फ्यूजन में ना रहे कि यहां पर कोई भी चीज बदल कर पढ़ने की जरूरत होती है।

आपको यह भी बताना चाहूंगा कि ईशा की आखिरी वक्त की नफ्ल नमाज़ खड़े हो कर पढ़ना अफज़ल माना जाता है।

इस नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ने से दोगुना सवाब हमारे नमाए अमाल में लिखा जाता है।

ईशा कि नमाज़ की नियत

आपको पहले ही मालूम हुआ कि ईशा की नमाज में सबसे पहले चार रकअत की सुन्नत, फिर चार रकअत फर्ज़, फिर दो रकअत सुन्नत, फिर दो रकअत नफ्ल, फिर तीन रकअत वित्र इसके बाद फिर दो रकअत नफ्ल पढ़ी जाती है:-

ईशा की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल ईशाए सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ईशा की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ईशा की फर्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला आरबा रकाति सलावतिल ईशाए फर्जुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ध्यान दें:- अगर आप ईशा की फर्ज जमाअत के साथ पढ़ रहे हैं तो आपको हिन्दी नीयत में वास्ते अल्लाह तआला के बाद पीछे इस इमाम के बोलना है और अरबी नियत मे फर्जुलल्लाहे तआला के बाद इकत् दयतु बिहाजल इमाम कहें।

ईशा की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल ईशाए सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ईशा की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

वित्र की नमाज़ की नियत हिन्दी:- नियत की मैने तीन रकअत नमाज वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

वित्र नमाज़ की अरबी नियत हिन्दी:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला सलास् रकाति सलावतिल वित्र वाजिबल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ईशा की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ईशा की नमाज़ का टाइम

ईशा की नमाज़ का टाइम वक्त ए मगरिब खत्म होने के बाद यानी जब आसमान में फैली मगरिब के वक्त से सफेदी खत्म हो जाती है तो ईशा की नमाज़ अदा करने का वक्त शुरू हो जाता है।

ईशा की नमाज़ एक तिहाई रात यानी रात की पहली हिस्सा में अदा करना ताखिर मुस्तहब है जबकि आधी रात तक अदा करना ताखिर मुबाह है, लेकिन आधी रात के बाद नमाज़ अदा करना मकरुह है।

ईशा की नमाज़ का आखिरी वक्त

ईशा की नमाज़ अदा करने के लिए आखिरी वक्त सुबह सादिक यानी फजर की समय आसमान में उजाला फैलने से पहले तक रहता है, जब आसमान में फजर के वक्त आसमान में उजाला फैल जाए तो इसके बाद ईशा कि नमाज़ नहीं अदा करनी चाहिए, इसे से पहले तक नहीं पढ़ पाते हैं तो आप को फिर ईशा की क़जा पढ़ना पड़ेगा।

ईशा की नमाज़ की रकात

ईशा की नमाज़ में सब मिलाकर 17 सत्तरह रकअत होती है आप को यह बता दें कि ईशा की नमाज़ छः सलाम के साथ मुक्कमल किया जाता है।

सबसे पहले ईशा की चार रकअत सुन्नत गैर मुअक्किदह अदा करें, फिर चार रकअत की फर्ज़ अदा करें, इसके बाद फिर ईशा की दो रकअत सुन्नत मुअक्किदह नमाज़ पढें।

इसके बाद दो रकअत की नफ्ल नमाज़ पढ़े, फिर तीन रकअत की वित्र वाजिब अदा करें और सबसे आखिरी में फिर से दो रकअत की नफ्ल अदा करें।

ईशा की नमाज़ की फज़ीलत

सबसे पहले ईशा की नमाज बहुत बड़ी नमाज होती है और हमारे रब को लंबा सज्दा पसंद है।

जिसने भी नमाजे ईशा के लिए हाजिर हुआ उसने निस्फ शब यानी आधी रात का कयाम किया।

ईशा की नमाज को अदा करने के बाद बावजू सोने से रात में हर सांस पर नेकी लिखी जाती है।

आखिरी बात

हमने इस पैगाम के जरिए आपको ईशा कि नमाज़ पढ़ने का मुकम्मल तरीका के साथ साथ ईशा की नमाज़ की नियत, रकअत और भी बातों को बहुत ही आसान लफ्जों में और दुरूस्त तरीके से बताया है, हमने इस आर्टिकल में सभी लफ्ज़ और हर छोटे बड़े वाक्य को आसानी के साथ समझ में आने के लिए बहुत ही सरल तरीके से पेश किया है।

हमारा लक्ष्य और उद्देश्य शुरुआत से लेकर आखिर तक यही रहा है कि हम अपने पढ़ने वाले सभी मोमिनो को पूरा जानकारी को आसान भाषा में दें, हम उम्मीद करते हैं कि इस पैगाम को पढ़ने के बाद आप जरूर ईशा की नमाज दुरुस्त तरीके से मुकम्मल कर सकेंगे।

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