Ashura Ki Namaz Ka Tarika – आशूरा की नमाज़ का सही तरीका

आज आप आशूरा की नमाज़ अदा करने का दुरूस्त तरीका को मुकम्मल जानेंगे, हम सभी के दरमियान हर साल की शुरुआत के महीना में यानी मुहर्रम माह के दस तारीख को आशूरा आता है, जिस दिन हम सभी को नेक कामों में मुबतला रहना चाहिए।

इस दिन की सबसे अफज़ल व बा बरकत की अमल एक नमाज़ भी है जिसकी बरकत से दुनियां में बहुत ही रहमत है इस दिन की नमाज़ पढ़ने से नेअमत के साथ साथ बरकत हासिल होती है यही वजह है कि हम सभी इस दिन की रहमत के तलबगार हैं।

Ashura Ki Namaz Ka Tarika

आप सबसे पहले आशूरा के दिन इस तरह से दो दो रकात की आशूरा की नमाज़ पढ़ेंगे, जिस तरह से हमने आप को नीचे की जानिब बताया है:-

Ashura Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकात

  1. सबसे पहले आशूरा की नमाज़ की नियत करें।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कह कर हांथ बांध लें।
  3. फिर सना यानी सुब्हान कल्ला हुम्मा व बि हम् दिक‌ पुरा पढ़े।
  4. फिर इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम को पढ़ें।
  5. फिर अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
  6. इसके बाद सुरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाहि शरीफ पढ़े।
  7. अल्हम्दु शरीफ को पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमीन कहें।
  8. फिर सुरह इख्लास यानी कुल हू वल्लाहु अहद् 3 तीन बार पढ़े।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ करें और तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  10. इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं फिर उठने पर रब्बना लकल हम्द कहें।
  11. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें, इसमें 3 तीन बार, 5 पांच बार, या 7 सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  12. अब यहां पर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  13. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।

Ashura Ki Namaz Ka Tarika – दुसरी रकात

  1. यहां सबसे पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
  2. फिर सुरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाहि शरीफ पूरा पढ़े।
  3. अल्हम्दु शरीफ को पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमीन कहें।
  4. फिर सुरह इख्लास यानी कुल हू वल्लाहु अहद् 3 तीन बार पढ़े।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ करें और कम से कम 3 तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  6. अब पढ़ने के बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं फिर उठने पर रब्बना लकल हम्दकहें।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें, इसमें भी कम से कम 3 तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  8. अब यहां पर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  10. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात शरीफ पढ़ें।
  11. अतहियात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
  12. इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें फिर दुआए मासुरह पढ़ें और सलाम फेर लें।
  13. यहां तक आपकी आशुरा कि दो रकात नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी।
  14. इसके बाद 70 सत्तर मरतबा आप नमाज़ से फारिग होकर यह तस्बीह पढ़ेंगे।
  15. सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इल्लाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर।

इसी तरह आप दो दो रकात करके 4 रकात, 6 रकात, या 8 रकात या फिर सौ रकात भी पढ़ सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:- आशूरा की दुआ

बस इस बात पर नज़र फरमाएं की हर रकात में अल्हम्दु शरीफ यानि सुरह फातिहा पढ़ने के बाद 3 तीन बार सुरह इख्लास यानी कुल हू वल्लाहु अहद् शरीफ पढ़ना है इसके बाद रुकुअ और सज्दा करना है।

एक और बात का ध्यान रखें की हर दो रकात पर सलाम फेरने के बाद 70 सत्तर मरतबा आप उस तस्बीह को पढ़ेंगे जिसे पढ़ने के लिए हमने आपको उपर में बताया है, इस तस्बीह को आप हर दो रकात के बाद जरूर पढ़ें।

आप जरूर आशूरा की रात में यानी 9 मुहर्रम को मगरिब के बाद 4 चार रकात नमाज़ नफ्ल इस तरकीब से पढ़ें कि हर रकात में अल्हम्दु शरीफ यानि सुरह फातिहा के बाद आयतुल कुरसी 1 बार और सुरह इख्लास 3 तीन बार पढ़ें।

इस तरह से चार रकात की नमाज़ को एक सलाम के साथ अदा करें, नमाज़ से फारिग होने के बाद 100 एक सौ मरतबा सुरह इख्लास यानी कुल हु वल्लाहु शरीफ पढ़ें।

इस तरह से आशूरा की रात में आप चाहें तो चार चार रकात करके 8 आठ रकात, 12 बारह रकात की नमाज़ अदा कर सकते हैं हर रकात में अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा के बाद 1 एक बार आयतुल कुरसी पढ़ें फिर 3 तीन बार सुरह इख्लास पढ़ें।

यह नमाज़ को पढ़ने से हम और आप यानी जो भी इस तरह से नमाज़ पढ़ेगा वह गुनाह से पाक होगा और बहिश्त में बे इन्तहा नेमत मिलेगी इंशाअल्लाह तआला खुदाबन्दे करीब उसे अपनी रहमते कामिला से इस नमाज के पढ़ने वालों के तमाम गुनाहों को माफ फरमाएगा।

आशूरा की नमाज़ की नियत

आशूरा की दो रकात नमाज़ की नियत:- नियत की मैंने दो रकात नमाज़ आशूरा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।

आशूरा नमाज की अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुअन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलाति नफ्ली मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस श़रिफते अल्लाहु अकबर।

नोट:- जितनी भी 2 दो रकात की आशूरा की नमाज अदा करें हर 2 दो रकात की नियत इसी तरह करें।

आशूरा की चार रकात नमाज़ की नियत:- नियत की मैंने चार रकात नमाज़ आशूरा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।

आशूरा कि चार रकात कि अरबी नियत:- नवैतुअन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलाति नफ्ली मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस श़रिफते अल्लाहु अकबर।

आशूरा की नमाज कितनी रकात होती है?

सबसे पहले आपको बता दें कि आशूरा की नमाज में कितनी रकात नमाज अदा करना चाहिए इस बात का कहीं से भी कोई जवाब नहीं है कि आशूरा की नमाज आपको इतना पढ़ना चाहिए या इससे अधिक पढ़ना है।

आशूरा की नमाज आप दो दो रकात करके चार, छः, आठ, दस, बारह, चौदह या सौ रकात भी पढ़ सकते हैं, इस दिन यानी आशूरा के दिन आप कम से कम 4 चार रकात आशुरा कि नफ्ल नमाज जरूर अदा करें, अगर आपके पास वक्त हो तो आप जितनी चाहे आशूरा की नफ्ल नमाज अदा कर सकते हैं।

आशूरा कि नमाज़ का समय

आशूरा के दिन आप आशूरा कि नमाज़ को अफताब बुलन्द होने यानी सूरज निकलने के बाद कभी भी अदा कर सकते हैं, आप को आशूरा की नमाज़ आशूरा के दिन मतलब दस मुहर्रम को असर कि नमाज़ से पहले अदा कर लेनी चाहिए, लेकिन इस दौरान यानी आफताब बुलंद होने से लेकर असर की नमाज तक के बीच मकरूह वक्त में आशूरा की नमाज नहीं अदा करनी चाहिए।

लेकीन रात में पढ़ी जाने वाली आशूरा की नफ्ल नमाज़ आप मगरिब के बाद शुरू करें, और ईशा के कब्ल सिर्फ चार रकात पढ़ें बाकि चार चार रकात करके नमाज़े ईशा के बाद मुकम्मल करें और सुबह सादिक से पहले जितना हो सके नफ्ल नमाज़ चार चार रकात करके ज्यादा से ज्यादा नफ्ल नमाज़ अदा करें इसकी बरकत और फ़ज़ीलत बेशुमार है।

आशूरा की नमाज़ की फजिलत

आशूरा की नमाज़ पढ़ने के फजिलतें बेशुमार है जिसमें हमने यहां पर आपको कुछ गिनी चुनी फजिलतें बयां की है:-

  • इस नमाज़ को पढ़ने का दुनियावी फ़ायदे के साथ साथ अखिरत के भी आला फ़ायदे हैं।
  • आशूरा की नमाज़ पढ़ने से आशुरा की नमाज़ पढ़ने वाले की तमाम गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।
  • आशूरा की दो रकात वाली नमाज़ पढ़ने से दुनियां से रुखसत होने के बाद कब्र में रौशनी मिलती है।
  • आशूरा की नमाज़ पढ़ने से आइंदा साल मतलब आगे आने वाले समय का गुनाह भी बख्श दिया जाता है।
  • इस नमाज़ को पढ़ने के बाद बन्दा खुदा से जो भी दुआ में हाजत करेगा इंशाअल्लाह उसकी हाजत पुरी होगी।

आशूरा के दिन किए जाने वाले नेक आमाल

  1. गुस्ल करना
  2. सुर्मा लगाना
  3. रोजा रखना
  4. सदका करना
  5. नाखुन तराशना
  6. नफ्ल नमाज़ पढ़ना
  7. उलमा की जियारत करना
  8. यतीम के सर पर हाथ फेरना
  9. एक हज़ार बार सुरह इख्लास पढ़ना
  10. अपने अहलो अयाल के रिज्क में वुस्अत करना

FAQ

आशूरा क्या है?

आशूरा का मतलब मजहब ए इस्लाम में दसवां दिन होता है, इस मुहर्रम की दस तारीख यानी आशूरा को शहादत ए इमामे हुसैन की याद में गम मनाया जाता है।

आशूरा के दिन क्या पढ़ना चाहिए?

आशूरा के दिन आशूरा की नफ्ल नमाज़ पढ़ना चाहिए और सुरह पढ़ना चाहिए और दुरूद, शरीफ़ दुआए दुआए अज़कार पढ़ना चाहिए।

आशूरा की रात क्या पढ़ना चाहिए?

आशूरा की रात नमाज़, कुरान शरीफ़ की तिलावत, दुआए अज़कार और दुरूद शरीफ पढ़ना चाहिए साथ ही साथ सुबह में रोज़ा के लिए सहरी करना चाहिए।

आख़िरी बात

हमने इस पैगाम के जरिए आपको आशूरा की नमाज़ अदा करने का दुरुस्त तरीका को मुकम्मल बताया है, आप आशूरा के दिन इसी तरह से नमाज़ अदा करेंगे यहां पर हमने आपको आशूरा की नमाज़ का तरीका बताने के साथ साथ आशूरा की नियत, रकात वगैरह का सभी जानकारी दिया है।

इस पैगाम को हमने बहुत ही आसान तरीके से साथ ही साथ आसान लफ्जों में पेश किया है क्योंकि हमारा उद्देश्य शुरू से अभी तक यही रहा है कि हम सभी इल्मेंं दीन की बात पहुंचाएं जिसे पढ़ने के बाद सभी जानकारी को आसानी से समझ सकें।

अगर यह पैगाम आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने अहबाबों के दरमियान जरूर पहुंचाएं इसका फायदा यह होगा कि हमारे मजहब ए इस्लाम की इल्म सभी मोमिन जान सकेंगे और याद ए इलाही में मशगूल रहकर अपने रब को राज़ी करेंगे।

7 thoughts on “Ashura Ki Namaz Ka Tarika – आशूरा की नमाज़ का सही तरीका”

Leave a Comment