Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika – सलातुल तस्बीह की नमाज़ का तरीका

आज आप एक अजीमुश्शान नमाज़ यानी सलातुल तस्बीह की नमाज़ का तरीका जानेंगे, हम सभी का रब अपने बन्दों को कई तरह के तोहफ़ा से नवाज़ा, जिसके जरिए हम और आप अपनी जिन्दगी में चार चांद लगाते हुए नज़र आ रहे हैं हम सभी को मालुम है कि नमाज़ अदा करने से दिल को काफ़ी सुकून मिलता है।

आज हम और आप एक इसी तरह की नमाज़ जानेंगे, जिसका नाम हम सभी के बीच सलातुल तस्बीह से मशहूर है हम लोग को अपने इस हसीं रंज भरी जिन्दगी में ज़रूर अदा करनी चाहिए वो इसलिए नहीं की यह जरूरी है बल्कि इसलिए कि इस नमाज़ को पढ़ने से दुनियावी सुकून के बाद भी आखिरत में भी सुकून है।

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकात

  1. सबसे पहले सलातुल तस्बीह की नियत करें।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कह कर हांथ बांध लें।
  3. फिर सना यानी सुब्हान कल्ला हुम्मा व बि हम् दिक‌ पुरा पढ़े।
  4. फिर पंद्रह 15 मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  5. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
  6. इसके बाद सुरह फातिहा यानि अल्हम्दु शरीफ को पढ़े, पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमीन कहें।
  7. फिर कुरान शरीफ की सुरह तकासुर पढ़े याद न हो तो कोई छोटी सुरह या कुरान शरीफ की बड़ी सुरह को पढ़ें।
  8. फिर इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ करें और तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  10. इसके बाद फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  11. इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं फिर उठने पर रब्बना लकल हम्द कहें।
  12. फिर से यहां पर 10 मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  13. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें, इसमें 3 बार, 5 बार, या 7 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  15. अब यहां पर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  16. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  17. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  18. इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  19. यहां तक आपकी सलातुल तस्बीह नमाज़ की पहली रकात मुकम्मल हो गई।
  20. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika – दूसरी रकात

  1. यहां पर सबसे पहले 15 बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  2. इसके बाद सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु शरीफ पढ़े।
  3. फिर यहां पर अगर याद हो तो सुरह अस्त्र यानी वलअसरी पढ़े, अगर याद न हो तो किसी भी सुरह को पढ़ें।
  4. इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  5. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  6. फिर से 10 दस मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  7. इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए उठें और उठने पर रब्बना लकल हम्द कहें।
  8. फिर से यहां पर 10 दस मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला कहें।
  10. इसके बाद फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  11. यहां पर अब आप अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  12. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  13. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. फिर से यहां पर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  15. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़ें।
  16. जब अतहियात पढ़ते हुए कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
  17. इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें, अब अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं क्यूंकि हमें चार रकात अदा करनी है।

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika – तीसरी रकात

  1. अब यहां पर आप सना यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़ें।
  2. फिर से यहां पर सबसे कब्ल सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर 15 पन्द्रह बार पढ़ें।
  3. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
  4. इसके बाद सुरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ पढ़ें, पुरा पढ़ने के बाद आमीन कहें।
  5. फिर यहां पर तीसरी रकात में सुरह काफिरून पढ़े, अगर याद न हो तो कोई सुरह पढ़ सकते हैं।
  6. फिर से इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  7. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  8. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  9. इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं फिर उठने पर रब्बना लकल हम्द कहें।
  10. फिर से यहां पर 10 मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  11. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें, इसमें कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  12. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  13. अब यहां पर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  14. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  15. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  16. इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  17. यहां तक आपकी सलातुल तस्बीह नमाज़ की तीसरी रकात भी मुकम्मल हो गई।
  18. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथे रकात के लिए खड़े हो जाएं।

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika – चौथी रकात

  1. अब यहां भी शुरू में ही 15 पन्द्रह बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  2. इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें, फिर सुरह फातिहा पढ़ें।
  3. अगर याद हो तो चौथी रकात में सुरह इख्लास पढ़े नहीं याद है तो कोई हर्ज नहीं कोई सुरह पढ़ सकते हैं।
  4. अब फिर से 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  6. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  7. इसके बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं और उठने पर रब्बना लकल हम्द कहें।
  8. फिर से यहां पर 10 मरतबा सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे करें, सज्दे में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  10. फिर 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  11. अब यहां पर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और कुछ देर के लिए बैठे रहें।
  12. इसके बाद सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर 10 दस बार पढ़ें।
  13. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. इसके बाद 10 दस बार सुब्हानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर पढ़ें।
  15. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात शरीफ पढ़ें।
  16. जब अतहियात पढ़ते हुए कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
  17. इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें फिर दुआए मासुरह पढ़ें और सलाम फेर लें।
  18. यहां तक आपकी सलातुल तस्बीह की चार रकात की नमाज़ अब मुकम्मल हो गई।

हमेशा ख्याल रखें कि खड़े होने की हालत में सुरह फातिहा से पहले पंद्रह बार तस्बीह पढ़ें।

हर रकअत में तस्बीह 75 पचहत्तर बार पढ़ी जाएगी, चारो रकात मिला कर 300 तीन सौ मरतबा तस्बीह पढ़ी जाएगी।

आप हर रकात में अपने ख्याल से तस्बीह गिनते रहे या उंगलियों के इशारों से तस्बीह शुमार करते रहें।

अगर आपको याद हो तो पहली रकात में अल्हम्दु शरीफ यानि सुरह फातिहा के बाद सुरह तकासुर दुसरी में सुरह वलअसर तीसरी रकात में सुरह काफिरून और चौथी में सुरह इख्लास पढ़े इनमें से किसी को भी पढ़े दुरूस्त माना गया है।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ की नियत

नियत की मैने चार रकात नमाज़ सलातुल तस्बीह की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

सलातुल तस्बीह नमाज़ की रकात कितनी है

सलातुल तस्बीह नमाज़ की चार रकात है, आप चाहें तो एक बार सलातुल तस्बीह की नमाज़ को हर रोज अदा कर सकते हैं, या फिर हर जुम्मे के दिन, अगर ये ना हो सके तो हर महीने के ख़ास दिन को पढ़ें, अगर यह भी न हो सके तो साल में कम से कम एक बार चार रकअत सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा करें या फिर पुरे उम्र में एक बार पढ़ें।

लेकीन यह बात कोई नहीं जानता की कब जिन्दगी अलविदा कह दे, इसीलिए कोशिश करें कि शुरूआत में ही सलातुल तस्बीह नमाज़ अदा करें अगर हर रोज वक्त मिले तो हमेशा चार रकअत सलातुल तस्बीह एक दिन में एक मरतबा जरूर पढ़ें, हमेशा सलातुल तस्बीह की नमाज़ का खयाल अपने अन्दर बनाए रखें और जिस रोज वक्त मिले अदा कर लें।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ का समय

आपको जब भी वक्त मिले सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा कर सकते हैं इसका कोई वक्त मुकर्रर नहीं है, लेकिन सबसे दुरूस्त और खास वक्त नमाज़ ए जुहर से पहले अदा करने का बेहतर समय है।

लेकिन इसका भी ध्यान रहे कि जैसे किसी भी नमाज़ को मकरूह वक्त में नहीं अदा की जाती है वैसे ही सलातुल तस्बीह की नमाज़ को भी मकरूह वक्त में नहीं पढ़नी चाहिए जैसे तुलूअ सूर्योदय व ग़ुरूब सूर्यास्त व निस्फुन्नहार आधी दिन इन तीनों वकतों में कोई नमाज़ जायज़ नहीं।

औरतों के लिए सलातुल तस्बीह की नमाज़ का तरीका

हमारी मां बहनों को भी सलातुल तस्बीह की नमाज़ जरूर अदा करनी चाहिए उनके लिए इस नमाज़ को अदा करने का कोई अलग तारिका नहीं है लेकिन अपने तौर तरीके से यानि जिस तरह से औरतों की नमाज़ अदा करने का तारिका होता है उसी को ध्यान में रखते हुए सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा करेंगे।

आप लोग को बस इतना ध्यान रखना है कि जो भी चीज़ हमने जिस तरह से जगह जगह बताया है उसी पर अमल करें जैसे की आपलोग भी अल्हम्दु शरीफ से पहले 15 पन्द्रह बार तस्बीह को पढ़े और रूकुअ और सज्दा से पहले और बाद में जिस तरह से पढ़ने को 10 दस बार कहा है वैसे ही अदा करें, अगर आपने ध्यान से न पढ़ी हो तो एक बार फिर गौर से पढ़ लें।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ की फज़ीलत

सलातुल तस्बीह नमाज़ की फजीलत की बात करूं तो इसकी फजीलतें बेशुमार है कुछ निम्न दर्जे की फजीलत हमने बयान किया है:-

  • इस नमाज़ मतलब सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने से बख्शिश होती है।
  • इस नमाज़ को पढ़ने से पिछले यानी बीते हुए साल की गुनाह मुआफ़ होता है।
  • सलातुल तस्बीह की नमाज़ शब् ए बारात की रात भी पढ़ना अफज़ल माना जाता है।
  • इस नमाज़ को पढ़ने से दिल की नेक तमन्ना अल्लाह तआला पूरी फरमाता है।
  • मसाइख का फरमान ए आलिशान है कि हमने यह नमाज़ पढ़ी और हमारी जरुरत पूरी हुई।
  • इस नमाज़ को दुरूस्त तरीके से पढ़ने से शबे कद्र की चार रकअत पढ़ने का सवाब हासिल होता है।
  • सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा करने से भूल से हुई गुनाह के साथ साथ जान बूझकर किया हुआ गुनाह भी मुआफ होता है।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ सुन्नत या नफ्ल है?

सलातुल तस्बीह की नमाज़ एक तरह का नफ्ल नमाज़ है लेकिन इस नमाज़ की बरकत और फजीलत कहीं नफ्ल की नमाज़ से ज्यादा है, साथ ही साथ इसे पढ़ने का तरीका भी आपने जाना की अलग है इस नमाज़ को छोड़ने से कोई गुनाह तो नहीं होगा लेकिन सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा करने से एक बेहतरीन दर्जे का सवाब हासिल होगा।

आख़िरी बात

हमने इस पैगाम के ज़रिए आप को सलातुल तस्बीह की नमाज़ को अदा करने का दुरूस्त तरीका को मुकम्मल बताया है, इससे पढ़ने के बाद आप जरूर सलातुल तस्बीह की नमाज़ को दुरूस्त तरीके से अदा करेंगे और अपनी नेक दुवाओं से हमें भी यकीनन नवाजेंगे।

हमने इस पैगाम को बहुत ही आसान तरीके से आप को अच्छे तरीके से मुकम्मल समझने के लिए पेश किया है क्यूंकि हमारा उद्देश्य अव्वल से ही यही रहा है कि अपने सभी मोमिनों को दीन ई राह की बात को आसानी से बताएं जिसे हम सभी अपने रब को राज़ी रखें जब वो राज़ी तो दुनियां में किसी की मोहताज़ी नहीं होगी।

अगर यह पैगाम आपको सहायक रहा हो तो इसे सोशल मीडिया के माध्यम से अपने सभी अहबाबो और अपनो के बीच शेयर करें ताकि वो भी ऐसी फजीलत वाली तोहफ़ा कुबूल कर सकें और अपने रब को राज़ी रखे इसके साथ हमें और आपको भी सवाब का कुछ हिस्सा हासिल हो जाएगा।

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