आज़ के इस खूबसूरत पैग़ाम में आप बहुत ही उम्दा इल्म यानी शब ए क़द्र की फ़ज़ीलत हिंदी में जानेंगे हमने यहां पर बहुत ही आसान लफ्ज़ों में शब ए क़द्र की फ़ज़ीलत बयां की है जिसे आप आसानी से पढ़ कर समझ जाएंगे।
हम सभी आशिक़ ए रसूल के दरमियान रमज़ान के आख़िरी अशरे में एक ऐसी भी शब यानी रात नाजिल हुई है जिसकी फजीलत और अज़मत अल्लाहू अकबर कौन बयान कर सकता है इस रात की तलाश हम सभी को होती है।
अगर हम और आप इस रात को पा लेंगे तो इस ज़िंदगी के साथ साथ हमारी आखीरत भी आसानी से गुजरेगी क्योंकी जो इसकी फजीलत ही बेशुमार है आप शब ए क़द्र की फ़ज़ीलत को पुरा आख़िर तक ध्यान से पढ़ें।
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Shab E Qadr Ki Fazilat In Hindi
- शब ए क़द्र की रात ईमान और इख्लास के साथ कियाम करने यानी नमाज पढ़ने से पढ़ने वाले का गुजिश्ता यानी गुजरा हुआ सगीरा गुनाह माफ कर दिये जाते हैं।
- शब ए क़द्र की रात इबादत करने वाले को 1 हज़ार माह यानी 83 साल 4 माह से भी ज्यादा इबादत का सवाब उसके नामाए आमाल में अता किया जाता है।
- एक आयते मुबारका के मुताबिक़ अल्लाह तआला का फ़रमान ए आलीशान है शब ए क़द्र हज़ार महीनों से आला यानी इसकी इबादत हज़ार महीनों की इबादत से बेहतर है।
- इस रात में मलायका और अरवाह आसमान से इबादत करने वालों को मुलाकात के लिए जमीन पर उतरते हैं और उनके आने से इबादत में लज़्जत पैदा होती है।
- इस रात को आफ़ात से सलामती और इसमें रहमत और ख़ैर ज़मीन पर उतरती है इस रात में शैतान भी बुराई करने की ताकत नहीं रखता है।
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शब ए क़द्र में किन लोगों की मगफिरत नहीं होती?
- शराबी का आदी
- मां बाप का ना फरमान
- रिश्तेदारों से ताल्लुक तोड़ने वाले
- आपस में बुग्ज व किन्ना रखने वाले
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शब ए क़द्र की रात कब होती है?
हजरते सय्यिदिना उबादा बिन सामित रजियल्लाहु तआला अन्हुं से रिवायत है कि मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बाहर तशरीफ़ लाए ताकि हम को शब ए क़द्र के बारे में बताएं कि किस रात में है।
जब दो मुसलमान आपस में तालमेल ख़राब कर रहे थे तो आप ने इरशाद फरमाया मैं इस लिए आया था कि तुम्हें शब ए क़द्र बताऊं लेकिन फुलां फुलां शख्स झगड़ रहे थे।
इस लिए इस का तअय्युन उठा लिया गया और मुम्किन है कि इसी में तुम्हारी बेहतरी हो अब इस को आखिरी अशरे की नवीं सातवीं और पांचवीं रातों में ढुंढो – बुखारी जि 1 स 663.
शब ए क़द्र को लयलतुल क़द्र क्यूं कहते हैं?
इस शब यानी शब ए क़द्र की रात का नेक आमाल को बारगाह ए इलाही में क़द्र की जाती है इस रात में साल भर के अहकाम यानी आज्ञा आदेश का नाफिज यानी हुक्म और फरिश्तों को साल भर के कामों और ख़िदमात पर मामुर किए जाते हैं इन्हीं तमाम वजहात के कारण इसे लयलतुल क़द्र कहते हैं।
शब ए क़द्र की शान
एक फ़रमाने मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का हिस्सा है कि जब शब ए क़द्र आती है तो हुक्म ए इलाही से हज़रते जिब्रिल अलैहि वसल्लम एक सब्ज झंडा लिए फरिश्तों की बहुत बड़ी फौज के साथ ज़मीन पर नुज़ूल फरमाते हैं।
इन फरिश्तों की तादाद ज़मीन की कंकरियो से भी ज्यादा होती है और वो सब्ज झंडा काबए मुअज्जमा पर लहरा देते हैं। हजरते जिब्रिल अलैहि वसल्लम के सौ बाजु हैं जिनमें से दो बाजु सिर्फ इसी रात खुलते हैं।
ये दोनों बाजु मशरिक व मग़रिब में फैल जाते हैं फिर हज़रते जिब्रिल अलैहि वसल्लम फरिश्तों को हुक्म देते हैं कि जो मुसलमान इस रात कियाम नमाज या जिक्रुल्लाह अज्जावजल्ल में मशगूल है उसे सलाम व मुसाफहा करो।
FAQs
शबे कद्र में क्या पढ़ा जाता है?
शबे कद्र में नमाज, कुरान पाक, दुआए, कुरआनी सूरह पढ़ी जाती है।
शबे कद्र की रात कब रात कब है?
शबे कद्र की रात अक्सर 27 रमज़ान को होती है इसके मुताबिक 19 अप्रैल दिन बुधवार को होनी चाहिए।
आख़िरी बात
आप ने इस पैग़ाम में बहुत ही उम्दा जानकारी यानी शब ए क़द्र की फजीलत से रूबरू हुए और भी इससे ताल्लुक बेहद जरूरी इल्म भी हासिल की यहां पर हमने सभी बातों को साफ आसान लफ्ज़ों में लिखा जिसे आप पढ़ने के बाद सभी बात को आसानी से समझ जाएं।
अगर अब भी आपके मन में कुछ बातों से सम्बन्धित कोई डाउट या सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सभी सवालों का उत्तर ज़रूर पेश करेंगे क्योंकी मेरा मकसद शुरू से ही यही है कि पढ़ने वालों को आसान लफ़्ज़ में बताएं जिससे वो समझ जाएं।
अब आप भी इस रात को यकीनन ऐसे ही जाया नहीं होने देंगे खूब इबादत करके अपने गुनाहों से खाली होंगे और इस पैग़ाम को ज़रूरत के मुताबिक सभी आशिक ए रसूल तक पहुंचाएं जिसे सब अपने रब के फ़रमान के मुताबिक़ शब ए क़द्र की रात को गुजारें।
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