आज हम आपको तरावीह की नमाज पढ़ने का तरीका मुकम्मल बताएंगे, हम सभी के लिए तरावीह की नमाज़ पढ़ना बेहद ही जरूरी है, तरावीह की नमाज़ ना पढ़ने से हम सभी गुनाहगार होते हैं, हमें और आपको इस पाक भरी रमजान के महीने में जरूर तरावीह की नमाज़ पढ़ना चाहिए।
इस आर्टिकल में मैंने तरावीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका के साथ साथ तरावीह नमाज़ की नियत, दुआ और भी तरावीह की नमाज से जुड़ी जानकारी लिखी है, आपको इसे पढ़ने के बाद तरावीह की नमाज पढ़ने का तरीका मिल जाएगा।
Taraweeh Ki Namaz Padhne Ka Tarika
तरावीह की नमाज पढ़ने का मुकम्मल तरीका ये है।
1.नियत करें
सबसे पहले आपको नियत करके अल्लाहू अकबर कहने के बाद हांथ बांध लेना है, अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो नीचे तरावीह की नमाज पढ़ने का नीयत लिखा हुआ है।
2. सना पढ़े
इसके बाद आप को सना पढ़ना है, जिसे हर नमाज़ में पढ़ा जाता है, सुब्हानकल्लाहुम्म व बि हम् दिक व तबारकस्मुक व तआला जद्दुक व लाइलाह गैरुक।
3. सुरह फातिहा पढ़े
इसके बाद आपको अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ने के बाद अल्हम्दु शरीफ पूरा पढ़ना है।
4. सुरह पढ़े
इसके बाद तुरंत आपको कोई भी सूरत पढ़ना है लेकिन इतना जरूर ध्यान रखें कि कुरान शरीफ की तिलावत उल्टा ना हो इसे कहने का यह अर्थ है कि जैसे पहली रकअत में कुल हु अल्लाह शरीफ फिर दुसरी रकअत में तब्बत यदा पढ़ना।
5. रुकुअ करें
सुरह को पढ़ने के बाद अल्लाहू अकबर कहते हुए घुटने पर हाथ रखे और यहां पर कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रबियल अजीम कहना है, इसके बाद रब्बना लकल हम्द कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
6. सजदा करें
यहां पर आपको अल्लाहू अकबर कहते हुए जाना है, फिर यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बीयल अला पढ़ना है, फिर अल्लाहु अकबर कह कर बैठ जाएं।
तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर सजदे करें, इसके बाद अल्लाहू अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं, यहां पर आप की पहली रकअत मुकम्मल हो गई इसी तरह दूसरी रकअत भी मुकम्मल करें।
7. तशह्हुद पढ़े
जब आप दूसरी रकअत के सज्दे कर लें तो इस बार सीधे खड़े होने के बजाय बैठ जाएं जिस तरह नमाजों में बैठा जाता है।
इसके बाद अत्तहियात शरीफ पढ़ कर जब कलिमाए ला के करीब पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली यानि इंडेक्स फिंगर उठाए।
8. सलाम फेरना
जब आप दुरूद शरीफ और दुआए मासूरा पढ़ लें तो अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कंधे की ओर गर्दन फेरे।
फिर बाएं कंधे की ओर करें, यहां पर आपकी दो रकअत मुक्कमल हुआ, इसी तरह दो दो रकअत करके बीस रकअत पुरा करें।
यहां पर आपको इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि हर चार रकअत के बाद उतनी देर बैठना है जितने वक्त में चार रकअत मुकम्मल हुई है।
आप चाहे तो इस वक्त कलीमा दुरूद शरीफ या फिर कोई दुआ पढ़ सकते हैं, आमतौर पर जो दुआ पढ़ी जाती है वह आपको नीचे मिल जाएगी।
ध्यान दें:- अगर आप जमात के साथ तरावीह की नमाज अदा करेंगे तो आपको सूरह फातिहा और सूरत नहीं पढ़ना होता है,
Taraweeh Ki Namaz Padhne Ka Time
हमें और आपको चाहिए कि तरावीह की नमाज़ इसके वक्त पर ही मुकम्मल करें यानी तरावीह की नमाज़ हमें और आपको इशा के फर्ज नमाज पढ़ने के बाद तरावीह का नमाज अदा करना चाहिए, तरावीह की नमाज़ आधी रात भी पढ़े तो कोई कराहत नहीं इशा के फर्ज के बाद से लेकर सुबह सादिक तक कभी भी पढ़ सकते हैं।
तरावीह नमाज़ की नियत
हिन्दी नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज तरावीह की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में
नवैतुअन उसल्लीअ लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल तराविह सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।
ध्यान दें:- अगर आप जमाअत के साथ पढ़ रहे हैं तो हिन्दी में पीछे इस इमाम के बोले, अरबी में इक त दयतु बिहाजल इमाम पढ़े।
Taraweeh Ki Namaz Aurat Kaise Padhe
सभी औरतों के लिए तरावीह सुन्नत मोअक्कदा है, लेकीन हमारी मां बहनों को मस्जिद में जानें की इजाजत नहीं अपने घर पर ही पढ़े, जमात के साथ अगर तरावीह की नमाज़ अदा करते हैं तो इसमें इमामत कोई पुरुष करें।
औरतें के साथ भी होती है लेकीन कराहत के साथ औरतों के लिए तरीका यह है कि नियत बांधते वक्त अल्लाहू अकबर कहते हुए हाथ कानों तक ना उठाएं।
बल्कि मुड़े तक उठाए हथेली नाफ़़ के नीचे बांधने के बजाय सीना और नाफ के बीच बांधे रुकुअ में ज्यादा यानि पीठ बराबर नहीं झुकना होता है।
बल्कि सिर्फ इतना झुके जीतने में हाथ घुठने तक पहुंच जाए सभी नियम नमाज़ की तरह ही यहां पर भी होता है, बाकी पुरा तारिका उपर में बताया गया है उसी पर अमल करें।
तरावीह नमाज़ की दुआ
सुब्हान जिल् मुल्कि वल् म ल कूति सुब्हान जिल इज्जाति वल् अजमति वल् हैबति वल् कुदरति वल् किबरियाए वल् ज बरुति सुब्हानल मलिकिल् हय्यिल लजी ला यनामू व ला यमूतु सुब्बुहून कुद्दुसन रब्बुना व रब्बुल मलाए कति वरूहु. अल्लाहुम्म अजिरना मिनन्नारि या मुजीरू या मुजीरू या मुजीरू बि रहमति-क या अर हमर्राहिमीन।
तरावीह कि नमाज़ कितनी रकात है?
तरावीह की नमाज बीस रकअत की पढ़ी जाती है, हर दो रकअत के बाद सलाम फेरना होता है, इसी तरह से दस सलाम के साथ तरावीह की नमाज़ मुकम्मल होती है।
हर चार रकअत के बाद दो दो रकअत पढ़ कर चार रकअत के बाद उतनी ही देर बैठना है जितनी वक्त में चार रकअत में पुरा हुआ हो ऐसा करना मुस्तहब है।
तरावीह कि नमाज़ सुन्नत है या नफ्ल?
तरावीह का नमाज मर्द और और औरत सबके लिए सुन्नते मुअकि्कदा है, हमें और आपको चाहिए कि तरावीह का नमाज ना छोड़े क्योंकि यह जायज नहीं है, इसे छोड़ने वाला गुनाहगार होता है कभी कभार छोटी जाने में गुनाह नहीं और उसकी जमाअत सुन्नते किफाया है
पुरुषों को चाहिए कि तरावीह का नमाज़ जमात के साथ अदा करें, और औरतों को अपने अपने घर पर अकेला तरावीह का नमाज़ अदा करें।
FAQ
क्या इशा की फर्ज के बगैर तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं?
इशा के फर्ज के बगैर तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं, जिस ने ईशा की फर्ज नमाज़ नहीं पढ़ा वो न तरावीह की नमाज़ पढ़ सकता है और नाही वित्र का नमाज।
क्या बैठ कर तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते हैं?
बिना किसी वजह के बैठ कर तरावीह की नमाज़ अदा करना मकरुह है, अगर बहुत ज्यादा बुड्ढा तथा कमजोर या फिर बीमार है तो बैठकर तरावीह की नमाज अदा की जा सकती है ऐसे में कोई दिक्कत नहीं है।
अपने घरों में पुरुषों को तरावीह पढ़ना कैसा?
तरावीह मस्जिद में जमाअत से पढ़ना अफ़ज़ल है, अगर घर में जमाअत से पढ़ी तो जमात छोड़ने का गुनाह नहीं होगा बल्कि उस सवाब का दर्जा नहीं मिलेगा जो मस्जिद में जमात के साथ पढ़ने से हासिल होता।
किन किन जगहों पर तरावीह पढ़ सकते हैं?
अगर आप अपने घर पर नहीं हैं या मस्जिद की मालूमात नहीं है तो किसी भी पाक जगह पर तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते हैं,तरावीह की नमाज़ हमें हर हाल में पढ़ना ही चहिए क्यूंकि यह सुन्नते मुअकि्कदा है।
तरावीह की नमाज़ छोड़ छोड़कर पढ़ना कैसा है?
आवाम में यह बात कही जाती है कि तरावीह पढ़े तो पुरा नहीं तो न पढ़े, इस बात को अपने अंदर से निकाल दीजिए कि पढ़े तो पूरा नहीं तो एक भी नहीं आप जितना पढ़ेगे आपकी नेकी अमलियात उतनी बढ़ेगी, लेकिन यह कोशिश जरूर करें कि इसका पाबन्दी करें क्योंकि यह हमारे दरमियान सिर्फ यह एक महीने के लिए आता है।
आखिरी बात
इस पैगाम के जरिए हमने आप तक तरावीह की नमाज़ पढ़ने का मुकम्मल और दुरुस्त तरीका पहुंचाने की कोशिश की है, इसे पढ़ने के बाद आप ही यकीनन तरावीह की नमाज़ पढ़ने का दुरूस्त और मुकम्मल तरीका जान गए होंगे।
हमारा कोशिश अव्वल से आखिर तक यह रहा है कि हम सभी बातों को अच्छे तरीके से और आसान लफ्जों में प्रस्तुत करें जिसे पढ़ने वाले को अच्छे तरीके से हर एक शब्द समझ में आ जाए और हमें अपनी कामयाबी का एहसास हो रहा है।
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