Dua E Masura In Hindi – दुआ ए मसुरा हिंदी में

आज के इस खूबसूरत पैगाम में आप बहुत ही ज़रूरी दुआ यानी दुआ ए मसुरा हिंदी में जानेंगे हमने इस पैग़ाम में दुआ ए मसुरा को बहुत ही आसान लफ्ज़ों में पेश किया जिससे आप आसानी से दुआ ए मसुरा जान जाएं।

हम सभी मोमिन के लिए दुआ ए मसुरा बहुत ही ज़रूरी है जिसे हम सब नमाज पढ़ते वक्त दुआ ए मसुरा के साथ नमाज को मुकम्मल कर सकें यही एक ऐसा दुआ भी है जिसे नमाज पढ़ते वक्त पढ़ा जाता है।

Dua E Masura In Hindi

  • अल्लाहुम् म इन्नी जलम्तु
  • नफ्सी जुल्मन कसीरंव
  • वला यग्फिरूज् जुनूबा
  • इल्ला अन्ता फग़फिरली
  • मगफिरतम मिन इन दिका
  • व रहमनी इन्नका अन्तल गफूरुर्रहिम.

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दुआ ए मसुरा हिंदी में

अल्लाहुम् म इन्नी जलम्तु नफ्सी जुल्मन कसीरंव‌ वला यग्फिरूज् जुनूबा इल्ला अन्ता फग़फिरली मगफिरतम मिन इन दिका व रहमनी इन्नका अन्तल गफूरुर्रहिम.

Dua E Masura In English

Allahumma inni Zalmtoo Nafsi Zulman Kaseeranw Walaa YaGfiruz Zunubaa illa Anta FaGfirlee Magfiratam Min in Deeka Wa Rahamni innaka Antal Gafururraheem.

Dua E Masura Tarjuma In Hindi

अल्लाह मैंने अपनी जान पर बहुत ज़ुल्म किया है और बेशक तेरे सिवा गुनाहों का बख़्शने वाला कोई नहीं है तू अपनी तरफ से मेरी मगफिरत फरमा और मुझ पर रहम कर बेशक तू ही तो बख्शने वाला मेहरबान है।

Dua E Masura Allahummaghfirli In Hindi

अल्लाहुम्मग फिरली वलि वालिदय्य वलिमन तवाल द वलि जमिइल मुमिनी न वल मूमिनाति वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमाति अल अहयाई मिन्हुम वल अमवाति इन्न क मुजिबुद् दअवाति बि रहमतिका या अरहमर्राहिमीन.

Dua E Masura Allahummaghfirli In English

Allahummaghfirli Wali Waalidayya Waliman Tawaala Da Wali Jameeil Muminee na Wal Mumeenati Wal Muslimeen Wal Muslimaati Al Ahyaai Minhoom Wal Amwaati Inna Ka Muzeebud Da'awati Bi Rahmateeka Yaa Ar - Hamar rahimeen.

Dua E Masura Allahummaghfirli Tarjuma In Hindi

ऐ अल्लाह तू बख्श दे मुझको और मेरे वालिदैन को और उसको जो पैदा हो और तमाम मोमिनीन व मोमिनात और मुस्लेमीन व मुस्लेमात को बेशक तू दुआओं को कबुल करने वाला है अपनी रहमत से सब मेहरबानों से ज्यादा मेहरबान।

दुआ ए मसुरा क्या है?

दुआ ए मसुरा एक आला किस्म की दुआ है जिसे हम सब मोमिन नमाज अदा करते वक्त एक ख़ास मुकर्रर वक्त पर नमाज के सबसे आख़िर में ठीक सलाम फेरने से पहले पढ़ते हैं।

दुआ ए मसुरा में यह अर्ज़ है कि हम अपने रब से अपने लिए और अपने वालीदैन के हक़ में बख्शिश की तलब करते हैं यही एक ऐसी दुआ है जिसे हम नमाज में पढ़ते हैं।

इस दुआ ए मसुरा को आप न कि सिर्फ नमाज में पढ़ सकते हैं बल्कि हर बार दुआ मांगने के वक्त आप दुआ ए मसुरा को पढ़ कर अपने गुनाहों की बख्शिश की तलब कर सकते हैं।

दुआ ए मसुरा नमाज में कब पढ़ी जाती है?

दुआ ए मसुरा नमाज के आखिर वक्त सिर्फ कादाए अखिरा में यानी नमाज मुकम्मल होने से ठीक पहले दुरूदे इब्राहिम पढ़ने के बाद पढ़ी जाती है।

जब आप 2 रकात वाली नमाज के आखिरी रकात के दोनों सजदा मुकम्मल हो जाने के बाद अत्तहियात पढ़ते हैं इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ते हैं इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़ना है।

अगर आप 3 रकात की नमाज अदा कर रहे हैं तो आप तीसरी रकात के दो सजदा अदा कर लें इसके बाद बैठे तब अत्तहियात और दुरूदे इब्राहिम पढ़ कर दुआ ए मसुरा पढ़ें।

जबकि 4 रकात वाली नमाज में जब चौथी रकात के दोनों सजदें मुकम्मल हो जाए तब यहां भी अत्तहियात और दुरूदे इब्राहिम पढ़ने के बाद दुआ ए मसुरा पढ़ें।

दुआ ए मसुरा की फजीलत

इस दुआ ए मसुरा को खुद मेरे प्यारे नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने खुद अपने बन्दों के लिए मगफिरत का दुआ बताया।

दुआ ए मसुरा की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इसे नमाज के दौरान पढ़ कर अपने तमाम सगिरा कबिरा गुनाह की मुआफी ‌कि तलब कर सकते हैं।

दुआ ए मसुरा की दुसरी सबसे खासियत यह है कि आप इस दुआ को पढ़ कर अपने मां बाप की भी गुनाहों की मगफिरत कर सकते हैं।

दुआ ए मसुरा से जुड़ी एक ख़ास हदीस


एक हदिस के मुताबिक अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है कि हज़रत अबु बकर सिद्दीक रजियल्लाहो तआला अन्हुं प्यारे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पेशे खिदमत हाजिर होकर अर्ज़ करते हैं की या रसुलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि एक ऐसी दुआ मुझे सिखा दीजिए जिससे मैं नमाज अदा करते वक्त पढ़ू तो आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाहुम् म इन्नी जलम्तुनफ्सी जुल्मन कसीरंव‌ वला यग्फिरूज् जुनूबा इल्ला अन्ता‌ फग़फिरली मगफिरतम मिन इनदिका व रहमनी‌ इन्नका अन्तल गफूरुर्रहिम पढ़ा करो।

FAQs

दुआ ए मसुरा का अर्थ क्या है?

दुआ ए मसुरा का अर्थ यह है कि हम अपने ज़ुल्म का इकरार रब से करके मगफिरत करते हैं।

दुआ ए मसुरा से पहले क्या पढ़ी जाती है?

दुआ ए मसुरा से पहले नमाज में दुरूदे इब्राहिम पढ़ी‌ जाती है, इससे पहले अत्तहियात यानी तशह्हुद पढ़ी जाती है।

दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?

अगर आप को दुआ ए मसुरा मालुम हो तो आप दुआ ए मसुरा को सबसे आखिर में सलाम फेरने से पहले पढ़ें, ऐसे ही दुआ ए मसुरा पढ़ा जाता है।

आख़िरी बात

आपने इस पैग़ाम में बहुत ही आला किस्म की दुआ यानी दुआ ए मसुरा से रूबरू हुएं यकीनन इस पैग़ाम को पढ़ने के बाद आप दुआ ए मसुरा आसानी से पढ़ कर नमाज में भी मुकम्मल पढ़ सकेंगे साथ ही आप ने दुआ ए मसुरा से जुड़ी और भी बहुत सारी इल्म हासिल की।

अगर अभी भी आपके मन में दुआ ए मसुरा से जुड़ी कोई सवाल या डाउट हो या फिर इस्लामिक सवाल कोई भी हो तो आप हम से कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सवालात का जवाब पेश ज़रूर करेंगे इंशाअल्लाह मेरा मकसद शुरू से ही है आप सब को पुरा इल्म आसान जबान में बताएं।

अगर आप को यह पैगाम अच्छा लगा हो यानी इस पैग़ाम से जो भी कुछ इल्म हासिल हुई हो तो जिन्हें मालुम न हो उन्हें ज़रूर से ज़रूर बताएं और अपने नामाए अमाल में नेकियों का इज़ाफा करें साथ ही अपने नेक दुआओं में हमें भी याद रखें हम भी आप के दुआ के तलबगार हैं शुक्रिया।